आज जन्मदिन है दादी का,
धूम मची है सारे घर में,
बच्चों के गाने इक स्वर में।
रम्मी तबला बजा रही है,
पम्मी घर को सजा रही है।
झूम रहे हैं सब मस्ती में,
सबको ज्वर है उन्मादी का।
हंसती हैं मुस्कातीं दादी,
सब पर प्यार लुटातीं दादी।
सत्तर पार हो गईं फिर भी,
हैं गुलाब-सी पुलकित ताजी।
बच्चों ने भी घेर लिया है,
उन्हें सजाया शहजादी-सा।
केक कटा है जन्मदिवस का,
देखो दादीजी का ठसका।
केक काटकर बांट रही हैं,
हंसती-हंसती डांट रही हैं।
कहतीं आज दिवस फिर आया,