बाल गीत : आम रसीले

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मीठे-मीठे आम रसीले,
पापा 5 किलो ले आए।


 
थैले पर मीना झपटी है,
टीना ने खींचे दो आम।
 
मल्लू ने जब डांट लगाई,
दोनों की कस गई लगाम।
 
धमा-चौकड़ी उधम सुनकर,
दादाजी भी दौड़े आए।
 
दादी भी शौकीन बहुत है,
बोली आम हमें भी देना।
 
मम्मी-पापा के संग मिलकर,
बच्चों तुम सब मत खा लेना।
 
जब हम, तुम जितने छोटे थे,
सौ-सौ आम अकेले खाए।
 
दादा-दादी वाले युग में,
आम बहुत सस्ते होते थे।
 
एक रुपए में तीन सैकड़ा,
दादा लाकर धर देते थे।
 
जिसको जितने लगे उठाकर,
उसने बिना झिझक के खाए।
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