पर्यावरण बचा लेंगे हम

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मुन्ना चर्चे हर दिन सुनता,
पर्यावरण प्रदूषण के।


 
बोला इक दिन बापू-बापू,
दिल्ली मुझे घुमा लाओ।
ध्वस्त हो गई अगर कहीं तो,
कब घूमूंगा बतलाओ।
दिल्ली के बारे में बातें,
सुनते मुंह से जन-जन के।
 
आज खांसती दिल्ली बापू,
कल मुंबई भी खांसेगी।
परसों कोलकाता-चेन्नई को,
भी यह खांसी फांसेगी।
पैर पड़ रहे हैं धरती पर,
रावण के, खरदूषण के।
 
नष्ट नहीं हो इसके पहले,
मुंबई मुझे घुमा देना।
कोलकाता कैसा है बापू,
दरस-परस करवा देना।
चेन्नई चलना वहां नौकरी,
करते पापा मुन-मुन के।
 
बापू बोले सच में ऐसी, 
बात नहीं है रे मुन्ना।
इतनी निष्ठुर नहीं हुई है,
अपनी ये धरती अम्मा।
फर्ज निभाकर पेड़ लगाओ,
रोज हजारों गिन-गिन के।
 
पेड़ लगाकर धुआं मिटाकर,
अपनी धरा बचा लेंगे।
जहर नहीं बढ़ने देंगे हम,
पेड़ नहीं कटने देंगे।
पर्यावरण बचा लेंगे हम,
आगे बढ़कर तन-तन के।
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