Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बाल कविता : अनमोल खजाना

Advertiesment
हमें फॉलो करें बाल कविता : अनमोल खजाना
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

इतने छोटे एक रुपए में,
होते पूरे सौ नए पैसे।
पापाजी ने मुझे बताया,
मुझको लगा अजूबा जैसे।
 
एक रुपए में मुश्किल से ही,
अब तो चॉकलेट मिल पाती।
एक नए पैसे में बोलो,
बोलो पापा क्या था आता।
 
पापा बोले नए पैसों की,
किसी समय कीमत थी भारी।
बीस नए पैसों में मिलती,
एक किलो भर थी तरकारी।
 
एक नए पैसे में हम तो,
चॉकलेट दो-दो ले आते।
पांच नए पैसों में मीठे,
बिस्कुट के पैकेट मिल जाते।
 
आज भले ही एक रुपए का,
सबने मोल बहुत कम माना।
किसी समय तो दस पैसा ही,
होता था अनमोल खजाना।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राहुल ने विदेश में भारत की नकारात्मक छवि पेश की, नहीं मिलेगा भारतीयों का समर्थन