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बाल कविता: हाथी दादा

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

elephant poem
 
ताधिक ताधिक ता ता धिन्ना।
हाथी दादा चूसो गन्ना।
 
फिर थोड़े से केले खाना।
केले खाकर मेले जाना।
 
खूब झूलना वहां हिंडोला।
चक्कर वाला झूला गोला।
 
सूंड बढ़ाना आसमान तक
ग्रह तारों के नाक कान तक।
 
गोरा चांद चूमकर आना।
काले से गोरे हो जाना।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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