बाल कविता : गुड़िया का पेट...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
मेरी गुड़िया का छोटा सा,
चिड़ियों जैसा पेट।
 
रोटी, कभी एक खाती है,
कभी-कभी तो आधी। 
दादी जब देती तो कहती,
ना-ना अब न दादी।
साफ मना कर देती सबको, 
बिना ही लॉग-लपेट। 
 
कहती, खाने को ना जीती,
खाती हूं जीने को।
उसकी दीदी ने बोला है,
गुस्सा, गम पीने को।
उठती सुबह पांच पर, 
जाती रात दस बजे लेट।
 
नहीं किसी झगड़े-झंझट में,
पाठ नियम से पढ़ती।
कर्म करो तो फल मिलता है,
कहकर खूब चहकती।
कहती चिड़िया रामलला की,
रामलाल के खेत।

साभार - देवपुत्र 
 
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

क्या आपका भी करता है सुबह उठकर उल्टी जैसा मन? हो सकते हैं ये गंभीर कारण

world hypertension day: उच्च रक्तचाप क्या होता है, जानें इतिहास और 2024 की थीम

सोने से पहले गुनगुना पानी पीने से क्या होता है? आयुर्वेद से जानें 10 फायदे

कैसे जानें कि आप हेल्दी हैं या नहीं? आयुर्वेद बताता है स्वस्थ रहने के ये 5 लक्षण

क्या आपको भी हो गई है आयोडीन की कमी? अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपचार

अगला लेख