Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बच्चों की कविता : कांटा चलता रहे घड़ी का

हमें फॉलो करें school poem
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

हमें नहीं बांचों चिट्ठी सा।
नहीं पढ़ों अखबार सरीखा।
 
हम बच्चों की दिनचर्या का,
अब खोजो कुछ नया तरीका।
 
सुबह आठ से शाम चार तक,
दिन भर शाला में खटते हैं।
 
और रात को होम वर्क से,
बेदम होकर के थकते हैं।
 
सुबह-सुबह जब हम उठते हैं,
दिखता चेहरा नीरस फीका।
 
ऐसा कुछ कर दो, कुछ घंटे, 
साथ रहें मम्मी पापा के।
 
घंटे, दो घंटे कम कर दो,
हम बच्चों के अब शाला के,
 
बात हमारी मानोगे तो,
निश्चित होगा भला सभी का।
 
घर-घर के बच्चे खुश होंगे,
खुश होंगे सब मम्मी पापा।
 
खुशियों से मम्मी पापा का,
नहीं आएगा जल्द बुढ़ापा।
 
हंसी ख़ुशी से इसी तरह से,
कांटा चलता रहे घड़ी का।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महिला दिवस 2023 के लिए 3 खूबसूरत कविताएं