Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

सूरज पर फनी बाल कविता : होगा दूर अंधेरा

Advertiesment
हमें फॉलो करें sun
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

मां बोलीं सूरज से बेटे,
हुई सुबह तुम अब तक सोए।
देख रही हूं कई दिनों से,
रहते हो तुम खोए-खोए।
 
जाते हो जब सुबह काम पर,
डरे-डरे से तुम रहते हो।
क्या है बोलो कष्ट तुम्हें प्रिय,
साफ-साफ क्यों न कहते हो।
 
सूरज बोला सुबह-सुबह ही,
कोहरा मुझे ढांप लेता है।
निकल सकूं उसके चंगुल से,
कोई नहीं साथ देता है।
 
अगर गया बाहर अम्मा तो,
कोहरा हमला कर सकता है।
मुझे देखते ही हरदम वह,
जली-कटी बातें करता है।
 
ऐसे में तो हिम्मत मेरी,
रोज पस्त होती रहती है।
विकट समय में बहन धूप भी,
मेरा साथ नहीं देती है।
 
मां बोलीं हे पुत्र तुम्हारा,
कोहरा कब है क्या कर पाया।
उसके झूठे चक्रव्यूह को,
तोड़ सदा तू बाहर आया।
 
कवि कोविद जेठे सयाने सब,
देते सदा उदाहरण तेरा।
कहते हैं सूरज आया तो,
भाग गया है दूर अंधेरा।
 
हो निश्चिंत कूद जा रण में,
विजय सदा तेरी ही होगी।
तेरे आगे कोहरे की या,
अंधकार की नहीं चलेगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

देवशयनी एकादशी विशेष : 12 जुलाई को कर लीजिए भगवान विष्णु के 11 उपाय