सर्दी के दिनों पर चटपटी कविता : शीत लहर के पंछी

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
शीत लहर के पंछी आ गए,
रुई के पंखे लगा-लगा कर। 
 
चारों तरफ धुंध दिन में भी,
कुछ भी पड़ता नहीं दिखाई।
 
मजबूरी में बस चालक ने,
बस की मस्तक लाइट जलाई।
 
फिर भी साफ नहीं दिखता है,
लगे ब्रेक, करते चीं-चीं स्वर।
 
विद्यालय से जैसे-तैसे,
सी-सी-करते आ घर पाएं।
 
गरम मुंगौड़े, आलू छोले,
अम्मा ने मुझ को खिलवाएं।
 
सर्दी मुझे हो गई भारी,
बजने लगी नाक घर-घर-घर।
 
अदरक वाली तब दादी ने,
मुझको गुड़ की चाय पिलाई।
 
मोटी-सा पश्मीनी स्वेटर,
लंबी-सी टोपी पहनाई।
ओढ़ तान कर सोए अब तक,
पापा को भी हल्का-सा ज्वर।

ALSO READ: बाल गीत : कड़क ठंड में मौज

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

सभी देखें

नवीनतम

बिरसा मुंडा शहीद दिवस आज, जानें उनके वीरता के बारे में

चावल के आटे में इस एक चीज को मिलाकर बनाएं फेस पैक, डेड स्किन हटेगी और दमकने लगेगा चेहरा

हिंदी साहित्य के 15 शीर्ष उपन्यास जिन्हें पढ़े बिना अधूरा है किसी पाठक का सफर

स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की मौत कैसे हुई?

अंतरिक्ष में नई कहानी लिखने की तैयारी, शुभ हो शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा

अगला लेख