फनी कविता : इमरती

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- प्रस्तुति रुद्र श्रीवास्तव‌
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ह‍ंसते हंसते आई इमरती।
दोनें में इठलाई इमरती।
लल्लू कल्लू मुन्नू छुन्नू,
सबने मिलकर खाई इमरती।

अम्मा बापू दीदी भैया,
इन सबको भी भाई इमरती।
सकुचाते सकुचाते दादा,
दादी ने भी खाई इमरती।

बड़े पुराने कहते अक्सर,
पेड़ा की भौजाई इमरती।
कभी कभी दादा कह देते,
लड्डू की है ताई इमरती।

जिस जिस के घर में पहुंची है,
ढेरों खुशियां लाई इमरती।
शुभ कारज में हंसते हंसते,
देखी दिखी बधाई इमरती।

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