बच्चों की कविता : हाथी

- घनश्याम मैथिल 'अमृत'

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सदा झूमता आता हाथी,

सदा झूमता जाता हाथी।

पर्वत जैसी काया इसकी,

भारी भोजन खाता हाथी।

सूंड से भोजन सूंड से पानी,

भर-भर सूंड नहाता हाथी।

छोटी आंखें कान सूप से,

दांत बड़े दिखलाता हाथी।

राजा रानी शान समझते,

बैठा पीठ घुमाता हाथी।

अपनी पर जो आ जाए तो,

सबको नाच नचाता हाथी।
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