बाल कविता : गर्मी आई

Webdunia
- रुद्र श्रीवास्तव‌

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गर्मी आई गर्मी आई,
धूप‍‍‍ पसीना लेकर आई।

सूरज सिर पर चढ़ आता है,
अग्नि के बम बरसाता है।

मुझे नहीं यह बिलकुल भाई।
गर्मी आई गर्मी आई।

चलो बरफ के गोले खाएं,
ठेले से अंगूर ले आएं।

मम्मी दूध मलाई लाई।

गर्मी आई गर्मी आई।


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