बाल कविता: मत बांटों इंसान को

-विनय महाजन

Webdunia
FILE
मंदिर-मस्जिद-गिरिजाघर ने
बांट लिया इंसान को
धरती बांटी, सागर बांटा
मत बांटों इंसान को।

अभी राह तो शुरू हुई है
मंजिल बैठी दूर है
उजियाला महलों में बंदी
हर दीपक मजबूर है।

मिला न सूरज का संदेशा
हर घाटी मैदान को।
धरती बांट ी, सागर बांटा
मत बांटों इसान को।
अब भी हरी भरी धरती है

ऊपर नील वितान है
पर न प्‍यार हो तो जग सूना
जलता रेगिस्‍तान है।

अभी प्‍यार का जल देना है
हर प्‍यासी चटटान को
धरती बांटी, सागर बांटा
मत बांटों इंसान को।

साथ उठें सब तो पहरा हों
सूरज का हर द्वार पर
हर उदास आंगन का हक हो
खिलती हुई बहार पर।

रौंद न पाएगा फिर कोई
मौसम की मुस्‍कान को।
धरती बांट ी, सागर बांटा
मत बांटों इंसान को।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वर्ल्ड म्यूजिक डे 2025 : संगीत का साथ मेंटल हेल्थ के लिए इन 7 तरीकों से है फायदेमंद

21 जून योग दिवस 2025: सूर्य नमस्कार करने की 12 स्टेप और 12 फायदे

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: 30 की उम्र तक हर महिला को शुरू कर देना चाहिए ये 5 योग अभ्यास

21 जून: अंतरराष्ट्रीय योग एवं संगीत दिवस, जानें इसकी 3 खास बातें

क्यों पुंगनूर गाय पालना पसंद कर रहे हैं लोग? जानिए वैदिक काल की इस अद्भुत गाय की विशेषताएं

सभी देखें

नवीनतम

100 सिटअप्स के बराबर है ये एक योगासन, फिट रहने के लिए सबसे कारगर, जानिए फायदे और इसे करने का तरीका

वर्ल्ड म्यूजिक डे 2025 कोट्स, विशेस, शुभकामनाएं, बधाई संदेश

वर्ल्ड म्यूजिक डे 2025 : कौन सा था वो गाना जिसे सुनकर सुसाइड कर लेते थे लोग?

21 जून को रात सबसे छोटी क्यों होती है? जानें कारण और रोचक जानकारी

किडनी कैंसर जागरूकता दिवस: समय पर जांच और इलाज तो किडनी कैंसर से पीड़ितों की बच सकती है जान