होली रंगों की टोली

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बसंत की हवा के साथ
रंगती मन को
मलती चेहरे पर हाथ
ये होली
लिए रंगों की टोली।

लाल गुलाबी बैंगनी हरी पीली
ये नवरंगी तितली है
आज तो जाएगी घर-घर
दर-दर ये मौज मनाएगी।

भूल पुराने झगड़े सारे
सबको गले लगाएगी
पीली फूली सरसों रानी
खेत खड़े हो केसर धानी।

देख रहे ढब आज निराले
गोरे आज हैं नीले काले
भीगी है एकदम गूजरिया
लाल है खुद धोती केसरिया।

लिए गुब्बारे बच्चे प्यारे
फेंक रहे हैं छिपे किनारे
होकर इस घर से उस घर पर
होली होली है कह कहकर।

आते चेहरे नए पुराने
गाते हँस हँस कई तराने
मट्ठी गुजिया रस और मलाई
अम्मा ने भरपूर बनाई।

लड्डू पेड़े और पकौड़े
जो भी देखे एक ना छोड़े
सच आज तो मस्त हैं सभी
महल गली घर चौबारे
झोपड़पट्टी और खोली
ये होली रंगों की टोली।

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