बाल कहानी : 15 अगस्त की मिठाई

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निवेदिता भारती 
 
कक्षा दूसरी में पढ़ने वाला रोनिन 15 अगस्त के विषय में अपने भाई अभिजात्य से पूछता है। अभिजात्य कक्षा तीसरी में पढ़ता है और अपनी समझ के अनुरूप रोनिन को 15 अगस्त के विषय में बताता है। 

 
रोनिन अपने भाई अभिजात्य से : भईया क्या हम कल स्कूल आएंगे?  
 
अभिजात्य : हां, कल मिठाई मिलेगी। 
 
रोनिन : क्यों?
 
अभिजात्य : कल 15 अगस्त है ना इसलिए। 
 
रोनिन : क्या कल कोई त्योहार है?
 
अभिजात्य : हां 15 अगस्त है, तभी तो मिठाई मिलेगी। 
 
रोनिन : यह हिंदुओं का त्योहार है या किसी और धर्म का। 
 
अभिजात्य : इस त्योहार को सभी धर्म के लोग एक साथ मनाते हैं। हम अपने घर जाकर इसके बारे पूछेंगे। 
 
रोनिन और अभिजात्य अपने घर पहुंचते हैं जहां वे अपनी मम्मी को 15 अगस्त पर मिलने वाली मिठाई की वजह पूछते हैं। उनके सवाल पर मम्मी मुस्कुराती हैं और उन्हें कहती हैं कि अन्य किसी भी त्योहार पर मिलने वाली मिठाई से बहुत ज्यादा कीमती यह मिठाई है। बच्चे उत्सुकता से उन्हें देखते हैं और आगे जानने के लिए जम जाते हैं। 
 
मम्मी: बेटा तुम मुझे और अपने पापा को सबसे ज्यादा खास रिश्ता समझते हो ना, ऐसे ही हमारा एक और बहुत बड़ा रिश्ता हमारे देश के साथ होता है। देश के साथ हमारी पहचान, अस्तित्व और सुरक्षा जुड़ी होती है। हम लोग भारत देश के नागरिक हैं और इसी वजह से हमारे लिए 15 अगस्त अन्य किसी भी त्योहार से बढ़कर होता है। 
 
अभिजात्य : मम्मी देश का त्योहार 15 अगस्त को ही क्यों मनाते हैं किसी और दिन क्यों नहीं? 
 
मम्मी : बहुत अच्छा सवाल पूछा तुमने अभि। हमारा देश सैकडों साल पहले बहुत अमीर देश था। सारी दुनिया में हमारे देश की पहचान एक धनी राष्ट्र के रूप में थी। सारी दुनिया के लोग हमारे साथ व्यापार करना चाहते थे। ऐसे ही एक कंपनी ने इंग्लैंड से आकर हमारे साथ व्यापार शुरू किया और धीरे-धीरे धोखा देते हुए हमारे देश पर कब्जा कर लिया। 
 
रोनिन : फिर क्या हुआ मम्मी? 
 
मम्मी : उसके बाद हमारे देश में उन विदेशियों को हमारी धरती से दूर करने की जंग शुरू हुई जो बहुत साल तक चली। इन लड़ाई में कई महान लोगों ने अपनी कुर्बानी दी और आखिरकार 15 अगस्त 1947 को उन विदेशियों को वापस जाना ही पड़ा। 
 
रोनिन : (उत्साह में) और इसलिए हम 15 अगस्त को मिठाई खाते हैं।
 
मम्मी: हां रॉनी, परंतु यह मिठाई बहुत गहरा मतलब अपने में छुपाए हुए है और लाखों लोगों की कुर्बानी और अथक प्रयासों का नतीजा है। 
 
रोनिन और अभिजात्य (एक साथ) : झंडा उंचा रहे हमारा.... 

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