अंत में तीनों ने एक बुद्धिमान व्यक्ति के पास जाने का फैसला किया। बुद्धिमान व्यक्ति ने वसीयत को ध्यान से सुना और काफी सोच विचार कर वह अपना एक ऊंट ले आया। इस तरह अब कुल ऊंटों की संख्या 18 हो गई और बंटवारा करना आसान हो गया। उसने मृत पिता की इच्छा के अनुसार बड़े बेटे को 18 में से आधे ऊंट यानी 9 ऊंट दे दिए। अठारह के एक तिहाई ऊंट अर्थात 6 ऊंट उसने बीच वाले बेटे को दे दिए और 18 का 1 बटा नौवां भाग यानि दो ऊंट सबसे छोटे बेटे को दे दिए।
अब आप बांटे गए ऊंटों की गिनती करें- 9+6+2 तो यह संख्या 17 होती है और जो आखिरी ऊंट बचा वह बुद्धिमान आदमी का अपना ऊंट था।
कहानी का सार : सौदेबाजी का रवैया और समस्या को सुलझाने का आधार अठारहवें ऊंट की खोज करना है : कहने का अर्थ है कि आपको एक सामान्य आधार खोजना पड़ता है। जब भी कोई व्यक्ति सामान्य आधार पाने में सफल होता है तो कोई भी मामला सुलझाया जा सकता है।
कभी कभी यह कठिन होता है लेकिन एक हल तक पहुंचने की दिशा में पहला कदम यह है कि आप विश्वास करें कि हर समस्या का हल हो सकता है। अगर हम सोचते हैं कि समस्या का कोई हल ही नहीं है तो हम किसी भी हल तक पहुंचने में नाकाम रहेंगे।