वे चारों भाई नाना के यहां चले गए। लेकिन कुछ दिन बाद वहां भी उनके साथ बुरा व्यवहार होने लगा।
तब सबने मिलकर सोचा कि कोई विद्या सीखनी चाहिए। यह सोच करके चारों चार दिशाओं में चल दिए।
कुछ समय बाद वे विद्या सीखकर मिले। एक ने कहा- 'मैंने ऐसी विद्या सीखी है कि मैं मरे हुए प्राणी की हड्डियों पर मांस चढ़ा सकता हूं।'
आगे पढ़े दूसरे ने क्या कहा...
दूसरे ने कहा- 'मैं उसके खाल और बाल पैदा कर सकता हूं।'
आगे पढ़े तीसरे ने क्या कहा...
तीसरे ने कहा- 'मैं उसके सारे अंग बना सकता हूं।'
आगे पढ़े चौथे ने क्या कहा...
चौथा बोला- 'मैं उसमें जान डाल सकता हूं।'
जंगल में ली परीक्षा, क्या हुआ परिणाम...
फिर वे अपनी विद्या की परीक्षा लेने जंगल में गए। वहां उन्हें एक मरे शेर की हड्डियां मिलीं।
उन्होंने उसे बिना पहचाने ही उठा लिया।
आगे पढ़ें फिर क्या हुआ...
एक ने मांस डाला, दूसरे ने खाल और बाल पैदा किए, तीसरे ने सारे अंग बनाए और चौथे ने उसमें प्राण डाल दिए। शेर जीवित हो उठा और सबको खा गया।
शेर बनाने का अपराध किसका....
यह कथा सुनाकर बेताल बोला, 'हे राजा, बताओ कि उन चारों में शेर बनाने का अपराध किसने किया?'
राजा ने कहा, 'जिसने प्राण डाले उसने, क्योंकि बाकी तीन को यह पता ही नहीं था कि वे शेर बना रहे हैं। इसलिए उनका कोई दोष नहीं है।'
यह सुनकर वेताल फिर पेड़ पर जा लटका। राजा जाकर फिर उसे लाया। रास्ते में वेताल ने एक नई तेईसवीं कहानी सुनाई।
( समाप्त)