गोरैया (चिड़िया)

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- अरुणमय दास

गोरैया (चिड़िया) यह एक छोटी पक्षी है, जो प्रायः सभी स्थानों पर मिल जाती है। इसके रहने का एक अलग ही अंदाज होता है। गोरैया रहती तो घोंसले में ही है, पर यह अपना घोंसला अधिकांशतः ऐसे स्थानों पर बनाती है, जो चारों तरफ से सुरक्षित हो।

इन पक्षियों के घोंसले अधिकतर घरों, छज्जों तले या वृक्ष के किसी छोटे बिल में होते हैं। कभी-कभी ये हमारे घर के अंदर भी अपना घोंसला बना लेते हैं। इन पक्षियों में एक विशेष आदत यह होती है कि ये जब भी अंडे देती है अपने घोंसले को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए अपने पुराने घोंसले को और मजबूत बनाती है या नया घोंसला बनाती है, जिसमें मादा पक्षी (गोरैया) अंडे देती है और अंडे देने के उपरांत जब तक अंडे में से बच्चे जन्म न ले ले, तब तक मादा चिड़िया घोंसले में ही रहती है और नर चिड़िया उसकी देख-रेख करता है। वह मादा के लिए दाना (भोजन) चुगकर अपने बच्चों की तरह (नर चिड़िया) मादा को खिलाता है।

गोरैया हल्की भूरे रंग, सफेद रंग लिए होती है। इनके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों के रंग भी पीलापन लिए होता है। नर के गले के पास (चोंच के नीचे) काले रंग का धब्बा होता है, जो दाँडी का संकेत देता है एवं नर की पहचान बताता है। यह अपने पैरों की सहायता से उड़ान भरते हैं पर ये आकाश में जमीन से 25 से 35-40 फीट की ऊँचाई पर ही उड़ते पाए जाते हैं। यह मुख्यतः छोटे कीड़े-मकौड़े व धान, छोटे गेहूँ आदि खाते हैं। प्रातः काल इनके चहकने की अनोखी प्रकृति होती है, जो बहुत ही सुखमय प्रतीत होती है।

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