चिप डिजाइनिंग इंस्टिट्यूट्‍स

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कुछ समय पहले तक मशीनें जहाँ बड़ी-बड़ी प्लेट्स, सेमी कंडक्टर और ट्यूब द्वारा काम करती थीं, आज वही काम एक छोटी-सी चिप करने लगी हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के चलते चिप का आविष्कार हुआ, जिसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यंत्र हल्के हो गए और उनकी कार्य करने की क्षमता पहले से कई गुना बढ़ गई। चिप डिजाइनिंग का क्षेत्र रोजगार की दृष्टि से व्यापक हो चुका है।

सभी कम्प्यूटर हार्डवेयर कंपनियों को चिप डिजाइनरों की जरूरत होती है। बैचलर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग या फिजिक्स में मास्टर डिग्री करने के बाद चिप डिजाइनिंग के एडवांस कोर्स में दाखिला लिया जा सकता है। यह कोर्स एक से डेढ़ वर्ष का होता है। योग्यता और अनुभव के आधार पर इस क्षेत्र में करियर की ऊँचाइयों पर पहुँचा जा सकता है।

प्रमुख आईटी कंपनियों में चिप लेवल इंजीनियरों की भारी माँग है। चिप डिजाइनिंग का पाठ्यक्रम कराने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं-

सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डेक), नई दिल्ली
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डेक), नोएडा
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डेक), पुणे
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डेक), बेंगलुरू
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डेक) हैदराबाद।
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