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सीस्मोलॉजी : एक बेहतरीन कैरियर विकल्प

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भूकम्प विज्ञान का क्षेत्र काफी नया है। इस क्षेत्र ने गत कुछ वर्षों में काफी तेजी से प्रगति की है और कई युवा साथी इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यह क्षेत्र केवल आपदा या उसके बाद के लिए नहीं बल्कि वर्तमान में किसी भी भवन को बनाने से पूर्व उसे भूकम्परोधी बनाया जाता है ।

यह भूकम्पों तथा भूकम्प तरंगों से उद्घाटित पृथ्वी की अंतरंग अवस्था का विज्ञान है। यह एक नूतन विज्ञान है, जिससे पृथ्वी के अंतरंग के बारे में काफी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई हैं, भूकम्प विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रगति का आरंभ लगभग 1880 ई में भूकम्पलेखी उपकरण के आविष्कार के साथ हुआ।

भूकम्प, या विस्फोट, उन भूकम्प तरंगों के स्रोतों को प्रस्तुत करता है जो पृथ्वी के अंतरंग में प्रसारित होती हैं और जिनका निर्गत भूकम्पलेखी द्वारा अंकित होता है। तरंग विश्लेषण से अधस्थल की बनावट और कभी-कभी स्रोत की क्रियाविधि भी ज्ञात हो जाती है। विस्फोटों ओर भूकम्पों से उत्पन्न भूकम्प तरंगें भूगति उत्पन्न करती हैं।

भूकम्प विज्ञान में इन्हीं बातों का गहराई से अध्ययन किया जाता है। भूकम्प विज्ञान विज्ञान विषय की विभिन्न श्रेणियों में नया है। जो विद्यार्थी इस विषय को लेकर पढ़ाई करते हैं और सफलतापूर्वक पढ़ाई पूर्ण कर लेते हैं उन्हें अर्थक्वेक इंजीनियर कहते हैं। अर्थक्वेक इंजीनियरिंग यानी सीस्मालॉजी के तहत धरती में होने वाली कंपन यानी भूकम्प के कारणों के बारे में जाना जाता है। साथ ही, इससे मनुष्यों को होने वाले नुकसान के अलावा जान-माल और पर्यावरण को होने वाले नुकसान का भी अध्ययन किया जाता है।

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भूकम्प के कुछ सेकंड बाद ही आखिर यह कैसे पता चल जाता है कि भूकम्प की तीव्रता रिएक्टर पैमाने पर कितनी थी या इसमें ऐसे कौन से रसायन थे, जो शरीर के लिए हानिकारक हैं। भूकम्प विज्ञान से हमारा परिचय केवल सिस्मोग्राफ से ही हो पाता है जो भूकम्प आने के कुछ क्षणों बाद ही उसकी तीव्रता व अन्य जानकारियां दे देते हैं।

परंतु भूकम्प विज्ञान केवल तीव्रता मापना नहीं होता। भूकम्प के बाद की घटनाएं और आने के पूर्व की घटनाएं पर्यावरण में बदलाव के अलावा किस प्रकार के भूकम्प का जान-माल और प्रॉपर्टी पर कैसा असर पड़ता है इसका संपूर्ण अध्ययन भूकम्प विज्ञान के अंतर्गत होता है।

अपार संभावनाएं
अर्थक्वेक इंजीनियरिंग यानी सीस्मालॉजी एक ऐसा विषय है, जिसमें उच्च अध्ययन करने वाले युवाओं के लिए अपार संभावनाएं हैं। विज्ञान की इस शाखा के तहत पृथ्वी इसका पर्यावरण, इतिहास, खनिज आदि का अध्ययन किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में इस विषय में अध्ययन करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

केवल भूकम्प ही नहीं
भूकम्प विज्ञान में केवल भूकम्प से संबंधित अध्ययन नहीं बल्कि इससे बचाव कैसे किया जाए और किस तरह के भूकम्प रोधी भवन बनाएं जाएं इसका विशेष अध्ययन किया जाता है। आज देश में जो भी मकान या बड़े बहुमंजिला भवन बनते हैं उन्हें भूकम्परोधी कैसे बनाए जाएं इस बात पर विचार किया जाता है।

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इस क्षेत्र में जानकारी रखने वाले लोगों की मांग दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। क्योंकि रियल इस्टेट के क्षेत्र में सुरक्षित मकानों और बहुमंजिला भवनों की मांग काफी अच्छी है जिसके कारण इस प्रकार के डिजायंस को ज्यादा पसंद किया जाता है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
- आईआईट‍ी, कानपुर, रुड़की, खड़गपुर
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस
- मुंबई विश्वविद्यालय
- ओसमानिया ‍विश्वविद्यालय, हैदराबाद
- वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून

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