स्किल गुरुकुल में युवाओं को मौका

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- आशुतोष वर्मा

आज भारत एक अनोखी 'दुविधा' में है जहाँ दुनिया की 40 फीसदी 25 साल से कम आयु वाली जनसंख्या मौजूद है जिसमें से कुल मात्र 5 फीसदी जनसंख्या (दुनिया भर के करीब 45 करोड़ कर्मचारियों के मुकाबले) ऐसी है जो औद्योगिक कुशलताओं पर खरी उतरी है। भारत में केवल 9 फीसदी कर्मचारी संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और सिर्फ 5 फीसदी लोगों के पास बाजार अनुकूल कुशलता है।

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मुश्किल यह है कि भारत में ज्यादातर युवा जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र में है और शिक्षा की उचित सुविधाओं के अभाव में उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है। वर्तमान स्थिति के हिसाब से 2012 के अंत तक भारत में 63 फीसदी बच्चे विभिन्न स्तरों पर स्कूल को छोड़ चुके होंगे, जिसकी वजह से करीब 13 लाख अतिरिक्त अकुशल और अशिक्षित बच्चे स्कूल से बाहर निकल बाजार में नौकरी या कामकाज की तलाश में निकल पड़ेंगे।

इसी संबंध में किए गए अध्ययनों के मुताबिक, 2020 तक वैश्विक स्तर पर 5.65 करोड़ कुशल कर्मचारियों का अभाव होगा और इसी दौरान भारत में 4.2 करोड़ अतिरिक्त लोग कामकाज वाली आयु में पहुँच जाएँगे। इसी उलझन को देखते हुए और इससे निपटने के लिए उद्योग संगठन सीआईआई ने पैनआईआईटी एल्युमनी रीच फॉर इंडिया (पीएआरएफआई) के साथ मिलकर एक 'स्किल गुरुकुल' नाम से योजना शुरू की है।

सीआईआई के अध्यक्ष हरि. एस. भरतिया ने पूरे उद्योग जगत से इस योजना में भाग लेने की माँग की है। इस योजना के जरिए मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई को बीच में छोड़ देने वाले युवाओं में कौशल का विकास किया जाएगा जिससे देश में मानव संसाधन का पूरा इस्तेमाल किया जा सके।

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सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने बताया, 'यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सीआईआई और पीएआरएफआई मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों की एक श्रृंखला स्थापित करेंगे जिसे 'पीएआरएफआई स्किल गुरुकुल' कहाँ जाएगा। वंचित तबके के बच्चों के लिए शुरू होने वाले इन केंद्रों में हर साल 10,000 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।'

पीएआरएफआई के संस्थापक संरक्षक हरि पद्मभान ने कहा, 'भारत में जनसांख्यिकी भिन्नताओं को कम करने के लिए हमें युवाओं को सशक्त करने हेतु कौशल में निवेश करने की जरूरत है, जिस प्रकार सरकार आईआईटी के जरिए कर रही है।

एक तरफ भारत में बड़ी संख्या में बेरोजगार मौजूद हैं, वहीं दूसरी ओर कई कंपनियाँ कुशल कर्मचारियों की कमी महसूस कर रही हैं। इस परेशानी की जड़ कौशल विकास में निवेश की कमी है। इसीलिए हमने व्यावसायिक शिक्षा के जरिए देश के ज्यादातर वंचित युवाओं को शिक्षित करने का निर्णय लिया है।

नाबार्ड द्वारा किए जा रहे निवेश के साथ 30 गुरुकुल केंद्रों को खोलने की योजना बनाई है जिसमें से 3,500 लोगों की क्षमता वाले 7 केंद्र खुल चुके हैं।' सीआईआई की मदद से हम अब तक 100 फीसदी लोगों को रोजगार दिलाने में सफल रहे हैं।

स्किल गुरुकुल की मुख्य विशेषताएँ :

1. व्यावसायिक प्रशिक्षण का लक्ष्य दसवीं कक्षा से बाहर निकले और गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को प्रशिक्षित करना है।

2. वाणिज्य जैसे वेल्डिंग, कंस्ट्रशन, कैटरिंग में 35 से 45 दिनों का फुलटाइम, आवासीय प्रशिक्षिण।

3. शून्य सब्सिडी के साथ अपने आप में अनोखा आत्म स्थायी मॉडल जिसे नाबार्ड द्वारा पूर्ण रूप फंडिड किया जाएगा।

4. अशिक्षित या बेरोजगार बीपीएल युवाओं को 100 फीसदी लोन, कौशल प्रशिक्षिण, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एमईएस सर्टिफिकेट, एसबीआई खातों के लिए वित्तीय सुविधाएँ दी जाएँगी, जहाँ वेतन जमा भी किया जाएगा।

5. रोजगार के आधार पर वेतन कटौती के जरिए प्रशिक्षिण लोन की वापसी।

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