अंधेरे में कैसे चमकते हैं जुगनू?

राजीव शर्मा

Webdunia
शुक्रवार, 13 मई 2011 (10:46 IST)
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आपने जुगनू के बारे में तो सुना ही होगा। शायद उन्हे देखा भी हो। ये ऐसे छोटे-छोटे कीट होते हैं जिनके शरीर से रात के अंधेरे में हल्की-हल्की रोशनी आती है। जुगनू के पेट की त्वचा के ठीक नीचे कुछ हिस्सों में प्रकाश पैदा करने वाले अंग होते हैं। इन अंगों में खास रसायन बनता है जो ऑक्सीजन के संपर्क में आकर रोशनी पैदा करता है।

जुगनू लगातार नहीं चमकते, बल्कि एक निश्चित अंतराल पर कुछ समय के लिए चमकते और 'बुझते' रहते हैं। इस रोशनी का प्रयोग ये जुगनू अपने साथी को आकर्षित करने के लिए करते हैं। नर और मादा जुगनुओं से निकलने वाले प्रकाश के रंग, चमक और उनके 'जलने-बुझने' के समय में थोड़ा-सा अंतर होता है। इन्हीं के आधार पर वे दूर से भी एक-दूसरे को पहचान लेते हैं। इसके अलावा इनके शरीर का यह प्रकाश स्वयं को दूसरे कीटभक्षियों से बचाने और अपना भोजन खोजने में भी इनकी मदद करता है।

अब सवाल आता है कि आखिर ये जुगनू चमकते कैसे हैं? शुरू में तो यह माना जाता था कि ये जीव फास्फोरस की वजह से चमकते हैं लेकिन आगे चलकर इस संबंध में हुए प्रयोगों में कुछ और नई बातें पता चलीं। सन्‌ 1794 में इतालवी वैज्ञानिक स्पेलेंजानी ने यह साबित किया कि जीवों में प्रकाश उनके शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाओं के कारण पैदा होता है। ये रासायनिक क्रियाएं मुख्य रूप से पाचन संबंधित होती हैं।

इन रासायनिक क्रियाओं की वजह से खासतौर पर 'ल्युसिफेरेस' और 'ल्युसिफेरिन' नामक प्रोटीन का निर्माण होता है लेकिन रोशनी तभी पैदा होती है जब इन पदार्थों का ऑक्सीजन से संपर्क होता है। ऑक्सीजन के साथ मिलने से ल्यूसिफेरिन आक्सीकृत होकर चमक पैदा करने लगता है। जुगनुओं का यह प्रकाश पीला, हरा, लाल या मिश्रित आदि हो सकता है।

वैसे, प्रकृति में जुगनुओं की तरह चमकने वाले कई और जीव भी मौजूद हैं। रोशनी पैदा करने वाले जीवों की करीब एक हजार प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं। इनमें से कुछ पृथ्वी के ऊपर पाई जाती हैं तो कुछ समुद्र की गहराइयों में। कुछ बैक्टीरिया, कुछ प्रजाति की मछलियां, शैवाल, घोंघे, जैली फिश, केकड़ों में भी रोशनी पैदा करने का गुण होता है। कुछ फफूंद और कुकरमुत्ते भी चमकने की खास क्षमता रखते हैं लेकिन इनमें जुगनू ही ऐसे जीव हैं जो आसानी से और बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

इसी वजह से इन सबमें ये ही सबसे ज्यादा लोकप्रिय भी हैं। शरीर से रोशनी पैदा करने वाले ऐसे जीवों के प्रकाश को 'जीवदीप्ति' कहा जाता है। इनका यह प्रकाश 'शीतल' प्रकृति का होता है। जुगनुओं की कुछ प्रजातियों में तेज रोशनी पैदा होती है। पुराने समय में तो लोग रात को इनका प्रयोग 'लैंप' की तरह किया करते थे। वे लोग छोटे-छोटे छेद वाले मिट्टी या धातु के बर्तनों में खूब सारे जुगनू बंद करके उनकी रोशनी का उपयोग अपने घरों में काम करने या रास्ता देखने के लिए भी करते थे।

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