Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जिसने खोले शनि के कई राज, अब अंत के निकट

हमें फॉलो करें जिसने खोले शनि के कई राज, अब अंत के निकट
वॉशिंगटन , गुरुवार, 14 सितम्बर 2017 (18:21 IST)
वॉशिंगटन। शनि ग्रह के अद्भुत वलयों और चंद्रमाओं के अनसुलझे रहस्यों का पता लगाने के लिए दो दशक पहले रवाना हुआ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का खोजी यान कैसिनी 15 सितंबर को शनि के वायुमंडल में प्रवेश करने के साथ ही नष्ट हो जाएगा।
 
पंद्रह अक्टूबर 1997 में अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से रवाना हुए कैसिनी ने सौरमंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह शनि के बारे में अहम जानकारियां जुटाने के साथ ही अंतरिक्ष में 7.9 अरब किलोमीटर की लंबी यात्रा के दौरान कई और ग्रहों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल कीं और कुल 4.53 लाख तस्वीरें पृथ्वी पर भेजीं।
 
वर्ष 1998 में वह शुक्र ग्रह के करीब से गुजरा और उसके गुरुत्वाकर्षण की जानकारी जुटाई। वर्ष 2000 में उसने वृहस्पति के करीब से गुजरते हुए उसकी 26 हजार नायाब तस्वीरें उतारीं।
 
कैसिनी ने एक जुलाई को शनि की कक्षा में प्रवेश किया था, जिसके बाद वह 13 वर्षों तक इसी ग्रह के इर्द-गिर्द घूमता रहा। इस दौरान उसने शनि के सात नए चंद्रमाओं मिथोन, पैलीन, पॉलीड्यूसेस, डैफनिस, एंथे, ऐगियोन और एस 2009 की खोज की। उसने शनि की विशिष्ट पहचान माने जाने वाले उसके वलयों के भी कई राज खोले और उनके अहम आंकड़े पृथ्वी पर भेजे।
 
शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर तरल मिथेन के समुद्र होने का पता भी पहली बार कैसिनी से ही लगा।  कैसिनी के साथ एक हायंगेस नाम से एक शेाध यान भेजा गया था जो 25 दिसंबर 2004 को उससे अलग होकर 14 जनवरी 2015 को टाइटन पर उतरा था, लेकिन तकनीकी खामी के कारण वह कुछ समय बाद ही निष्क्रिय हो गया।
 
कैसिनी मंगलवार 12 सिंतबर को टाइटन के 1.19 लाख किलोमीटर के करीब से गुजरा इसे नासा ने 'द गुड बॉय किस' नाम दिया क्योंकि यह शनि के वायुमंडल में कैसिनी की यात्रा के अंतिम चरण की शुरुआत है। इस दौरान शनि की सतह से कैसिनी की दूरी कारीब 1915 किलोमीटर होगी और उसकी रफ्तार 1 लाख 13 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी।
 
यह कैसिनी की अंतिम यात्रा होगी। वायुमंडल में प्रवेश करते ही यान जलकर नष्ट हो जाएगा, लेकिन इसके पहले उसके एंटीना पृथ्वी की तरफ घूम चुके होंगे और अंतिम तस्वीरें भेजते जाएंगे। इसके बाद पृथ्वी पर यान से रेडियो सिग्नल हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। कैसिनी की ओर से भेजा गया आखिरी संदेश ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा स्थित नासा के डीप स्पेस नेटवर्क कॉम्प्लेक्स में प्राप्त किया जाएगा।
 
कैलिफोर्निया के पासाडेना स्थित नासा की जेट प्रोप्लशन प्रयोगशाला में कैसिनी अभियान के प्रबंधक अर्ल मेज के अनुसार कैसिनी भौतिक रूप से बेशक खत्म हो रहा है, लेकिन उसके द्वारा जुटाई गई जानकारियां उसे अमर रखेंगी। भविष्य में शनि ग्रह से जुड़े शोध कैसिनी से मिली जानकारियों के भरोसे ही आगे बढ़ेंगे। यान का नामकरण जाने माने  इतालवी-फ्रांसिसी खगोलविद् जियोविनी डोमेनिको कैसिनी के नाम पर किया गया है। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रोहिंग्या भारत की सुरक्षा के लिए खतरा : केंद्र सरकार