नींद में छींक क्यों नहीं आती?

Webdunia
सोमवार, 13 जनवरी 2014 (10:53 IST)
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छींकना इंसानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का एक हिस्सा है। यह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। जब नाक में कुछ प्रवेश कर जाता है तो मस्तिष्क में उपस्थित एक भाग जो छींक का केन्द्र या अनियंत्रित क्रियाओं के लिए उत्तरदायी होता है।

यह हिस्सा दिमाग का निचला हिस्सा होता है। इस हिस्से के द्वारा तेजी से सिग्नल भेजे जाते हैं जिसके कारण गला, आंखें व मुंह कसकर बंद हो जाता है। अगले ही पल छाती की मांसपेशियां तन जाती हैं और गले की मांसपेशिया आराम की अवस्था में आ जाती हैं।

परिणामस्वरूप हवा मुंह व नाक से होती हुई बाहर निकल जाती है, जिसे छींक कहा जाता है। सामान्यत: ठंड में जुकाम होना ही छींक की वजह होती है, लेकिन छींक के और भी कारण हो सकते हैं।

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छींक एक ऐसी क्रिया है जिसके आने पर हमारा शरीर भी नियंत्रण नहीं कर पाता है क्योंकि इसकी गति बहुत तेज होती है। क्या आप जानते हैं कि छींक की रफ्तार 100 मील प्रतिघंटा होती है। एक छींक के साथ लगभग 100000 जर्म वातारण में मुक्त होते हैं।

धूप में ज्यादा रहना छींक का कारण भी बन सकता है। तेज धूप से छींक की नसें सक्रिय हो जाती हैं जिससे बिना मौसम के धूप में चलते वक्त भी छींक आ जाती है।

और सेक्स का क्या संबंध है छींक से... पढ़ें अगले पेज पर...



शायद आपको ये बात सुनने में अजीब लगे, लेकिन छींकने की वजह सेक्स भी हो सकता है। शोधों की मानें तो सेक्स के दौरान पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जिससे सेक्स के बाद कई बार कुछ लोगों को बहुत छींक आती है।

कुछ लोगों को थ्रेडिंग करवाते समय या उसके बाद छींक आती है। कुछ लोगों को तो हर एक बाल के निकलने पर छींक आ जाती है। भौहों के ठीक नीचे जो नस होती है, वह श्वास नली से जुड़ी होती है। इससे जुड़ी किसी भी गतिविधि की प्रतिक्रिया छींक के रूप में सामने आती है।

छींक से स्वास्थ्य का क्या संबंध है... पढ़ें अगले पेज पर...

छींक के बाद लोगों को 'गॉड ब्लेस यू' कहते हुए सुना होगा। मगर ये जानकर शायद आपको बहुत हैरानी होगी कि छींक आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी है। छींकने से शरीर के हानिकारक जीवाणु बाहर निकलते हैं और यह प्रतिरोधी तंत्र की प्रक्रिया का जरूरी हिस्सा है। सेहतमंद जीवन के लिए छींक का आना भी जरूरी है।

पर अगर आपको छींके आ रही हैं तो आपको नींद नहीं आ सकती है या यूं कहें अगर आपको जब आप सोते हैं तो छींक नहीं आ सकती है क्योंकि उस समय नसें आराम की अवस्था में होती हैं। आपके साथ छींक से जुड़ी नसों को भी आराम मिलता है इसलिए कभी भी नींद के दौरान आपको छींक नहीं आ सकती है।

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