खगोल वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता मिली है। खगोल वैज्ञानिकों ने बृहस्पति ग्रह के 12 और नए मून्स की खोज की है। रिकॉर्ड-ब्रेकिंग खोज के कारण बृहस्पति ग्रह के कूल मून्स की संख्या 92 हो चुकी हैं। बृहस्पति हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसके पहले शनि ग्रह के सबसे अधिक कूल 83 चंद्रमा थे। बृहस्पति शनि को पछाड़ते हुए चंद्रमाओं का राजा बन चुका हैं। इटेलियन एस्ट्रोनोमर गेलिलि ने 1610 में पहली बार जूपिटर उसके चंद्रमाओं की खोज की थी।
फिलहाल, बृहस्पति के चंद्रमाओं को इंटरनेशनल एस्ट्रोनोमिकल यूनियन के माइनर प्लेनेट सेंटर की सुची में शामिल किया गया हैं। खोज टीम में शामिल कार्नेगी इंस्टीट्यूट के स्कॉट शेफर्ड के अनुसार नए चंद्रमाओं का साइज 1 से 3 किलोमीटर तक रेंज करता है।
उनकी खोज हवाई और चीले के टेलेस्कोप के द्वारा 2021 और 2022 में की गई। उनके ऑर्बिट्स के बारे में आगे के ऑब्जरवेशन में पुष्टि की गई। शेफर्ड अब तक बृहस्पति के 70 चंद्रमाओं की खोज में हिस्सा ले चुके हैं।
शेफर्ड ने कहा कि बृहस्पति और शनि छोटे चंद्रमाओं से भरे हैं जो बड़े चंद्रमाओं के टुकड़े माने जाते हैं, जो हो सकता है एक दूसरे से या कोमेट्स और एस्ट्रोइड से टकराए हो। यूरेनस और नेपच्यून के चंद्रमाओं की खोज कर पाना बहुत कठिन है क्योंकि वे अत्यधिक दूरी पर हैं। यूरेनस के कूल 27 चंद्रमा है, नेपच्यून के पास 14, मंगल के पास 2 और पृथ्वी के पास एक चंद्रमा है। वीनस और मरक्यूरी के पास एक भी चंद्रमा नहीं है।
अप्रैल माह में यूरोपियन स्पेस एजेंसी बृहस्पति पर जूपिटर आइसी मून्स एक्सप्लोरर (JUICE) नामक स्पेसक्राफ्ट भेजने की तैयारी कर रहा है। इससे वे बृहस्पति और उसके सबसे बड़े और ठंडे चंद्रमाओं के बारे में जानकारी जुटा सकेंगे। 400 साल बाद (JUICE) यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो (बृहस्पति के सबसे बड़े उपग्रह) की सबसे स्पष्ट तस्वीरें देगा और यह विश्व का पहला ऐसा स्पेसक्राफ्ट होगा जो बृहस्पति के चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। बृहस्पति पृथ्वी से 600 मिलियन किलोमिटर दूरी पर है। अक्टूबर 2024 में स्पेस एजेंसी नासा (NASA) भी यूरोपा क्लिपर को बृहस्पति पर भेजेगा।