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बाघों पर आई बर्बादी, सुरक्षित नहीं रहा सुंदरबन...

हमें फॉलो करें बाघों पर आई बर्बादी, सुरक्षित नहीं रहा सुंदरबन...
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संदीपसिंह सिसोदिया

, बुधवार, 29 जुलाई 2015 (13:04 IST)
बाघों को बचाने के लाख जतन और दावे करने के बाद भी एक भयावह खबर आई है। भारत और बांग्लादेश में स्थित बाघों की प्रसिद्ध शरणस्थली सुंदरबन में मात्र 180 बाघ बचे हैं। इसके पहले हुई गिनती में इस क्षेत्र में 440 बाघों की मौजूदगी का दावा किया गया था। इसमे से सुंदरबन के भारतीय क्षेत्र में केवल 74 बाघ पाए गए हैं और बांग्लादेश वाले क्षेत्र में 106 बाघों के होने की पुष्टि हुई है। 

  
बताया जा रहा है कि इस बार बाघों की गिनती अत्याधुनिक तरीकों जैसे सेंसर आधारित ट्रेप कैमरों के जरिए हुई है। इसके पहले परंपरागत पग मार्क विधि से बाघों की गिनती की जाती थी जो सटीक परिणाम नहीं दे पाती थी। वहीं सुंदरबन में कार्यरत कई वन्यजीव विशेषज्ञ बाघों की संख्या में आई भारी गिरावट के लिए अवैध शिकार को जिम्मेदार मानते हैं। 

उनका कहना है कि इस संरक्षित क्षेत्र में संगठित शिकारी गिरोह बाघों का शिकार कर उनकी खाल और अन्य अवशेष काला बाजार में बेच रहे हैं। चीन, म्यंमार और पूर्वी एशिया में बाघ की खाल और शरीर के अन्य अंगों का कारोबार जमकर चलता है। इसके अलावा घटते जंगल, अतिक्रमण और अन्य मानवीय गतिविधियां बाघों की घटती संख्या के सबसे बड़े कारण हैं। 
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उल्लेखनीय है कि इस समय विश्व में बाघों की मात्र 6 प्रजातियां ही बची हैं, जिनमें सुमात्रन बाघ, बंगाल टाइगर, अमूरसी (आमूर) टाइगर, इंडो-चाइनीज टाइगर, दक्षिणी-चीनी और मलेशियाई बाघ शामिल हैं। एक जमाना था, जब बंगाल के सुन्दरवन के इलाके में दुनिया में सबसे बड़ी बाघों की आबादी थी, लेकिन समुद्र का जलस्तर बढ़ने से वनों का अधिकांश क्षेत्र जलमग्न हो गया। 
 
सुरक्षित नहीं रहा बाघों का स्वर्ग: डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एक अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2070 तक समुद्री जलस्तर एक फुट ऊपर हो जाएगा और तब शायद बाघों का यह स्वर्ग पूरी तरह खत्म हो जाएगा। सुंदरबन अभयारण्य पश्चिम बंगाल (भारत) में खानपान जिले में स्थित है। इसकी सीमा बांग्लादेश के अन्दर तक है। सुंदरबन भारत के 14 बायोस्फीयर रिजर्व में से एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है। इस उद्यान को भी विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
 
 
भारत में बाघों पर बढ़ता खतरा : उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वन मंत्री प्रकाश जावडेकर के अनुसार पिछले साढ़े तीन सालों में 78 बाघों की मौत हुई, जिसमें 24 बाघों का शिकार किया गया। इसके अलावा एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 10 सालों में (वर्ष 2002 से 2012) लगभग 337 बाघों की मौत हुई। इनमे सबसे अधिक 58 बाघ 2009 में मृत पाए गए। जिसमें 13 बाघों की मौत अवैध शिकार से हुई। 
 
वर्ष 2011 में 56 बाघों की मौत हुई, जिनमें से कुल 11 बाघों का शिकार हुआ। वर्ष 2007 में 28 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 6 बाघों का शिकार हुआ था। वर्ष 2002 में 28 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 9 बाघों का शिकार हुआ था। 
 
वर्ष 2005 में शावकों सहित 17 बाघों की मौत हुई। वर्ष 2003 में 16 बाघों की मौत हुई। वर्ष 2006 में 14 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 5 बाघों का अवैध शिकार किया गया। वर्ष 2002 से 2012 मार्च तक कुल 68 बाघों का अवैध शिकार किया गया। 

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