जानिए नारदजी के हवा में उड़ने की शक्ति का राज! (वीडियो)

प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

Webdunia
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पक्षियों को देखकर इंसान ने विमान और ग्लाइडर बनाए हैं, लेकिन तिब्बत में कुछ ऐसे संस्कृत दस्तावेज पाए गए हैं जिससे यह पता चल सकता है कि कौन-सी शक्ति से नारदजी और हनुमानजी आकाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर उड़कर चले जाते थे। यदि इस शक्ति का पता चल गया तो निकट भविष्य में इंसान बगैर पंखों के हवा में उड़ सकेगा।

वह कौन सी शक्ति थी जिससे नारदजी एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलक झपकते ही चले जाते थे और हनुमानजी उड़ लेते थे? चारों सनत कुमार अंतरिक्ष की सैर कर वापस धरती पर लौट आते थे? कोई साधु कैसे पद्मासन लगाकर हवा में उठ जाता था? इस सवाल के जवाब विज्ञान ढूंढ रहा है।

परामनोविज्ञान इस संबंध में खोज करता रहा है। तिब्बत और हिमालय के ‍कुछ साधु समाधि अवस्था में आकाश में कुछ ऊंचाई तक उठे हुए पाए गए हैं। जैसा कि हम अपने ग्रंथों में पढ़ते हैं कि भगवान, ऋषि तथा कई देवी-देवता वायु मार्ग द्वारा आते-जाते थे।

माना जाता है कि यह सारे ऋषि-मुनि या देवता लघिमा शक्ति के बल पर आकाश में गमन किया करते थे। लघिमा अर्थात लघु और लघु अर्थात हलकी रुई जैसे पदार्थ की धारणा से आकाश में गमन करना।

नोट : इस शक्ति से संबंधित वीडियो देंखे पेज नंबर तीन पर।

 

अगले पन्ने पर पढ़ें, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शोध रिपोर्ट....


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विज्ञान प्रसार (वि.प्र.) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की रिपोर्ट अनुसार कुछ सालों पहले चीन के पुरातत्व विभाग ने तिब्बत के ल्हासा में कुछ संस्कृत दस्तावेजों की खोज की है और उन्हें अनुवाद करने के लिए यूनिवर्सि‍टी ऑफ चंडीगढ़ भेजा गया।

वहां की शोधकर्ता डॉ. रूथ रैना ( Ruth Reyna) ने बताया कि इन दस्तावेजों में विमान के अंतरतारकीय माध्यम के निर्माण करने की विधि बताई गई है। अंतरखगोलीय माध्यम या अंतरतारकीय माध्यम हाइड्रोजन और हीलियम के कणों का मिश्रण होता है, जो अत्यंत कम घनत्व की स्थिति में सारे ब्रह्मांड मे फैला हुआ है।

अंग्रेजी में अंतरतारकीय को इन्टरस्टॅलर ( interstellar) और अंतरतारकीय माध्यम को इन्टरस्टॅलर मीडियम ( interstellar medium) कहते हैं।

उन्होंने आगे बताया विमान को संचालित करने के लिए गुरुत्वाकर्षण विरोधी ( anti-gravitational) शक्ति की आवश्यकता होती है और 'लघिमा' की ( anti-gravitational) शक्ति प्रणाली अनुरूप होती है। लघिमा ( laghima) को संस्कृत में सिद्धि कहते हैं और इंग्लिश में इसे लेविटेशन ( levitation) कहा जाता है। लघिमा योग के अनुसार आठ सिद्धियों में से एक सिद्धि है।

जैसा कि हम अपने ग्रंथो में देखते हैं कि भगवान, ऋषि तथा कई देवता वायु मार्ग द्वारा आते-जाते थे। यह सब वही एंटी ग्रेविटेशन वाली लघिमा शक्ति का प्रयोग करते थे।

इसी लघिमा शक्ति (विमानों के लिए) का वर्णन और प्रणाली, चीन के उन दस्तावोजों में मिली है जिसका अनुवाद किया जा रहा है। लेविटेशन पॉवर कोई तंत्र विद्या नहीं है बल्कि यह ध्यान के अभ्यास से हासिल शक्ति है। दरअसल यह एक ब्रह्मांडीय शक्ति है जिसको करने के लिए यम, नियम और तप-ध्यान का पालन किया जाता है।

अगले पन्ने पर पढ़ें, कैसे प्राप्त कर सकते हैं उड़ने की शक्ति को....


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योग द्वारा प्रथम तीन माह तक लग ातार ध्यान करते हुए शरीर और आकाश के संबंध में संयम करने से लघु अर्थात हलकी रुई जैसे पदार्थ की धारणा से आकाश में गमन करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।

इस शक्ति को हासिल करने के लिए यम और नियम का पालन करना जरूरी है। साथ ही संयमित भोजन, वार्तालाप, विचार और भाव पर ध्यान देना अत्यंत जरूरी होता है।

ये है योग की आठ सिद्धिया : अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, इशीता, वशीकरण।

लघिमा की शक्ति को आप इस वीडियो में देख सकते हैं-

अंतिम पन्ने पर पढ़ें, इंसानों को लगने लगे हैं पंख...


इंसानों को अब पंख लगाने की तैयारी हो चुकी है। अब आदमी परिंदों की तरह कहीं भी पहुंच सकता है। इंसान के द्वारा आविष्‍कार की गई एक मशीन के द्वारा हम अब हवा में उड़ सकते हैं। न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में इस चमत्कार का डेमो दिखाया गया।

मार्टिन एयरक्रॉफ्ट कंपनी ने एक ऐसा जैकपॉट बनाया है जिस पर बैठकर इंसान कहीं भी आ जा सकता है। यह एक प्रकार से उड़ सकने वाली बाइक है जिसकी कीमत है 40 लाख रुपए।
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