मगरमच्छों की गिनती का तरीका है गलत : शोधकर्ता

Webdunia
गुरुवार, 14 मार्च 2013 (17:45 IST)
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केंद्रपाड़ा। प्रसिद्ध सरीसृप शोधकर्ता एचआर बुस्टार्ड ने ओडिशा के भीतरकणिका राष्ट्रीय उद्यान के जलस्रोतों में रहने वाले मगरमच्छों की वार्षिक गणना के तरीके को अशुद्ध बताया है।

राज्य के इस इलाके में सफलतापूर्वक संरक्षण करने वाले बुस्टार्ड ने कहा कि बच्चों और किशोर मगरमच्छों को गिनती में शामिल करके वन विभाग बहुत बड़ी गलती कर रहा है। शोधकर्ता ने बताया कि एक-एक मगरमच्छ की गिनती की पूरी प्रक्रिया ही गलत है।

बुस्टार्ड ने कहा कि मेरा यह मानना है कि सिर्फ उन वयस्क और उप-वयस्क मगरमच्छों को ही गिनती में शामिल किया जाना चाहिए जिनकी उम्र 6 साल या उससे ज्यादा है। 70 के दशक में मगरमच्छ संरक्षण के 32 अभियानों के प्रबंधक रह चुके बुस्टार्ड फिलहाल भीतरकणिका राष्ट्रीय उद्यान के दौरे पर हैं।

उन्होंने कहा कि एक-एक मगरमच्छ की गिनती करने वाले जानते हैं कि शिशु मगरमच्छ और किशोर मगरमच्छों में मृत्युदर ऊंची है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बचने की दर 2 हजार प्रजातियों पर एक मगरमच्छ मात्र है।

उन्होंने कहा कि इसलिए शिशु मगरमच्छों को गिनती में शामिल करने के पीछे कोई तर्क नहीं है, क्योंकि जंगल में उनके प्राकृतिक शिकारियों का शिकार बन जाने की बहुत अधिक आशंका रहती है।

उन्होंने कहा कि हालिया गणना के आंकड़े दिखाते हैं कि भीतरकणिका जलस्रोतों में 1,649 मगरमच्छ अच्छी तरह रह रहे हैं लेकिन उनमें से अधिकतर न तो पूरी तरह बड़े हुए हैं और न ही उन्होंने प्रकृति के कठिन माहौल में जीवन-यापन कर पाने के लिए जरूरी वयस्कता ही हासिल की है।

उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले को ओडिशा के प्रमुख वन्य जीवन संरक्षक के सामने उठाया है और गिनती की प्रक्रिया से छोटे मगरमच्छों को बाहर रखने की मांग मैंने लिखित में की है। (भाषा)

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