सेहत के लिए आँसू अच्छे हैं

रोने से बढ़ती है उम्र

Webdunia
मंगलवार, 11 जनवरी 2011 (12:27 IST)
डॉ. किरण रमण
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स्वास्थ्य के लिए हँसना अभी तक लाभदायक माना जाता रहा है, किंतु नई खोजों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि रोना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। रो कर अनेक तरह के रोगों का उपचार किया जा सकता है।

प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में आँसू रोकने से होने वाले रोगों का उल्लेख किया गया है। आँसुओं के निकल जाने से विभिन्न प्रकार के रोग जैसे सिर एवं हृदय में पीड़ा, जुकाम, चक्कर आना, गरदन का अकड़ना आदि दूर हो जाते हैं।

इसी प्रकार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी रोना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है। अमेरिका के एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के अनुसार अमेरिका में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ रोकर अपनी आयु में वृद्धि कर लेती हैं, जबकि पुरुष अपने अहं के कारण रोना नहीं चाहते हैं और अनेक प्रकार के रोगों से घिरे रहते हैं।

यदि पुरुष भी मानसिक आघातों से त्रस्त होने पर आँसू बहा दिया करें तो उनमें रक्तचाप एवं हृदय संबंधी रोगों में कमी आ सकती है। जोर से रोने पर मनुष्य के मस्तिष्क में दबी भावनाओं का तनाव दूर हो जाता है, जिससे काफी राहत महसूस होती है एवं शक्ति की भी अनुभूति होती है।

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महिलाओं में रोने का गुण होने के कारण ही पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को दिल के दौरे कम पड़ते हैं। स्त्रियाँ रोकर अपने दिल का बोझ हलका कर लेती हैं। अपने मानसिक तनावों को आँसुओं द्वारा कम न कर पाने के कारण पुरुष प्रायः धमनियों संबंधी शिकायतों से ग्रस्त रहते हैं।

एक चिकित्सक ने आँसुओं को स्वास्थ्य के लिए आवश्यक मानते हुए कहा है कि रोने पर आँसू के माध्यम से शरीर में एकत्र विषैले रसायन बाहर आ जाते हैं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक एलेक्जनैडर फ्लेमिंग ने अपने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया है कि आँसू कीटनाशक भी होते हैं।

उन्होंने लाखों कीटाणुओं से भरी एक परखनली में एक बूँद आँसू टपकाया और देखा कि बूँद पड़ते ही सभी कीटाणु मर गए। उनके कहने का आशय यह है कि कभी-कभी आँसू बहा लेने चाहिए, क्योंकि आँखों के लिए आँसुओं से बेहतर कोई अन्य रोगाणुनाशक उपचार नहीं हो सकता है। आँसू आँखों में एकत्र धूल कणों को भी हटाते हैं और बाह्य वातावरण से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं।

आँसू के कारण ही आँखें नम रहती हैं। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि भावनात्मक आँसू अवसाद, उदासी एवं क्रोध को समाप्त करते हैं। रोने से मन का संपूर्ण मैल धूल जाता है। अतः जब कभी भी किसी कारण से रोना आए तो उसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि खुलकर बाहर आने देना चाहिए। अन्यथा आँखों में रुके हुए ये आँसू स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

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