Kumbh Sankranti : 13 फरवरी से सूर्य शनि के घर, जानिए कुंभ संक्रांति क्या है, क्यों होता है इसका असर

sun transit in Aquarius 2020
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सूर्य देव का कुंभ राशि में गोचर  (13 फ़रवरी, 2020)
 
सूर्य देव प्रत्यक्ष देवता हैं, जिन्हें हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। वे समस्त जगत को आलोकित करते हैं और प्रकाश मान बनाते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रह की संज्ञा दी गई है और नव ग्रह मंडल में उन्हें राजा नियुक्त किया गया है क्योंकि सभी ग्रह उन्हीं से प्रकाश प्राप्त करते हैं, इसीलिए वे राजा के पद के वास्तविक हक़दार भी हैं। सूर्य देव जगत को आरोग्य प्रदान करते हैं और इसलिए उत्तम सूर्य व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक होता है
 
सूर्य का कुंभ में गोचर
 
कुंडली में अच्छे सूर्य की स्थिति व्यक्ति को सरकारी क्षेत्र की नौकरी अथवा सरकारी क्षेत्र से लाभ देती है। एक उत्तम सूर्य व्यक्ति को रोगों से बचाता है और व्यक्ति के मान सम्मान में बढ़ोतरी दिलाता है। इसके अतिरिक्त सूर्य देव पित्त प्रकृति के ग्रह हैं जोकि ऊष्मा का कारक भी हैं और कुंडली में पिता और पिता तुल्य लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
 
सूर्य देव का गोचर प्रतिमाह होता है क्योंकि वह एक राशि में लगभग एक माह तक स्थित रहते हैं। सूर्य देव के गोचर को ही संक्रांति कहा जाता है, इसलिए अब जबकि सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो इसे कुंभ संक्रांति कहा जाएगा।
 
ज्योतिष में सूर्य देव को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और यही वजह है कि व्यक्ति की कुंडली में सूर्य का बलवान होना और शुभ फल प्रदान करना काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में उच्च पदों पर सुशोभित होते हैं और समाज में उनकी ख्याति बढ़ती है। 
 
किसी परिवार में पिता और देश के लिए राजा सूर्य के ही प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते हैं। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश से सभी प्रकार का अंधकार समाप्त हो जाता है, ठीक उसी प्रकार उच्च अथवा मजबूत सूरज शरीर के रोगों का नाश करता है और व्यक्ति की सभी समस्याओं का अंत कर देता है और सूर्य देव उसका पिता की तरह पालन करते हैं।
 
गोचर काल का समय
समस्त संसार को उत्तम आरोग्य और जीवन प्रदान करने वाले सूर्य देव 13 फरवरी, बृहस्पतिवार को दोपहर 2 बज कर 53 मिनट पर अपने पुत्र शनि की दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करेंगे। यह एक वायु तत्व की राशि है। इस प्रकार एक अग्नि तत्त्व प्रधान सूर्य का प्रवेश वायु तत्व प्रधान राशि में होगा। 
 
इस गोचर का सभी पर असर इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सूर्य ग्रहमंडल में प्रधान है साथ ही सृष्टि के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए उनका किसी भी राशि में प्रवेश संक्रांति काल कहलाता है। और इस संक्रांति का हम सभी पर व्यापक असर भी होता है। 

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