धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां दसवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : ऐसा ग्रहस्थ जो बच्चों को अकेला छोड़कर चला जाए। यहां बैठा गुरु अशुभ फल देता है। यदि शनि अच्छी स्थिति में हो तो शुभ फल। चौथे घर में शत्रु ग्रह हो तो अशुभ।
शनि के भाव में गुरु का होना अच्छे परिणाम नहीं देता। इसे शापित गुरु कहा गया है। यह पितृदोष भी माना गया है। सूर्य चौथे भाव में होगा तो बृहस्पति बहुत अच्छा परिणाम देगा। चौथे भाव के शुक्र और मंगल जातक के कई विवाह सुनिश्चित करते हैं। यदि 2, 4 और 6 भावों में मित्र ग्रह हों तो बृहस्पति आर्थिक मामलों में लाभ प्रदान करता है। लेकिन यदि यहां बृहस्पति नीच का हो रहा है तो जातक पैतृक सम्पत्ति, पत्नी और बच्चों से वंचित रहता है। जातक उदास और गरीब रहता है।
5 सावधानियां :
1. भाग्य पर भरोसा न करें। श्रम और कर्म हो ही अपनाएं।
2. दया का भाव घातक होगा, लेकिन दूसरों की भलाई जरूर करें।
3. घर में मंदिर और मूतियां न रखें।
4. यदि शनि 1, 10, 4 में हो तो किसी को खाने या पीने की कोई भी वस्तु न दें।
5. शादी के बाद किसी भी दूसरी स्त्री से संबंध न रखें अन्यथा सब कुछ बर्बाद।
क्या करें :
1. धार्मिक स्थलों पर बादाम दान करें।
2. प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।
3. कोई भी काम शुरू करने से पहले अपनी नाक साफ करें।
4. तांबे के सिक्के को बहते पानी में डालें।
5. कुल परिवार के पुरुष सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के लें और उसे मंदिर में दान कर दें।