लाल किताब के अनुसार मंगल दोष से बचने के 10 अचूक उपाय, फिर निश्चिंत होकर करें विवाह

अनिरुद्ध जोशी
गुरुवार, 12 जून 2025 (11:42 IST)
Mangal Dosh remedies: कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मंगल हो तो मंगल दोष बनता है। इससे विवाह में देरी, विवाह में दिक्कतें, तनाव और संघर्ष जैसी समस्याएं आ सकती है। लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में स्थित होकर मंगल जीवनसाथी की आयु की हानि करता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि 'मांगलिक दोष' वाले वर अथवा कन्या का विवाह किसी 'मांगलिक दोष' वाले जातक से ही होना आवश्यक है।
 
मंगल दोष निप्रभाव: यदि कन्या या वर को जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें स्थान में मंगल हो तो कुंडली मंगली होती है। 100 में से 80 कुंडली के मंगल का परिहार स्वयं की कुंडली में ही हो जाता है। मंगल के साथ चन्द्र गुरु शनि में से कोई भी एक ग्रह हो अथवा शनि की पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसी कुंडली में मंगल दोष किंचित मात्र भी नहीं रहता है। मेष का मंगल लग्न में हो, वृश्चिक का चौथा, मीन का 7वां, कुंभ का 8वां, धनु का 12वां हो तो मंगल दोष का परिहार हो जाता है। यदि केंद्र त्रिकोण में गुरु हो या केंद्र में चन्द्रमा हो या 6-11वें भाव में राहु हो, मंगल के साथ राहु अथवा मंगल को गुरु देखता हो अथवा मंगल से दूसरा शुक्र हो तो मंगल शुभ होकर समृद्धिकारक हो जाता है। गुरु बलवान हो, शुक्र लग्न अथवा 7वां हो, मंगल वक्री नीच या शत्रु के घर का हो या अस्त हो तो दोष नहीं होता है।
 
यदि लग्न में मंगल अपनी स्वराशि मेष में अथवा चतुर्थ भाव में अपनी स्वराशि वृश्चिक में अथवा मकरस्थ होकर सप्तम भाव में स्थित हो, तब भी मंगल दोष निष्प्रभावकारी हो जाता है। यदि मंगल अष्टम भाव में नीच राशि कर्क में स्थित हो अथवा धनु राशि स्थित मंगल द्वादश भाव में हो तब मंगल दोष निष्प्रभावकारी हो जाता है। यदि मंगल अपनी मित्र राशि जैसे सिंह, कर्क, धनु, मीन आदि में स्थित हो तो मंगल दोष निष्प्रभावकारी हो जाता है। यदि किसी वर-कन्या की जन्म पत्रिका में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश स्थान में अन्य कोई पाप ग्रह जैसे शनि, राहु, केतु आदि स्थित हों तो 'मंगल दोष' का परिहार हो जाता है। यदि वर-कन्या की जन्म पत्रिका में मंगल की चंद्र अथवा गुरु से युति हो तो मंगल दोष मान्य नहीं होता है। 28 वर्ष की उम्र के बाद मंगल दोष निप्रभावी हो जाता है। 
 
तीन प्रकार के मंगल: मंगल तीन प्रकार का माना गया है- सौम्य मंगल, मध्यम मंगल और कड़क मंगल। कहते हैं कि सौम्य मंगल का कोई दोष नहीं, मध्यम मंगल 28 वर्ष की उम्र के बाद उसका दोष समाप्त हो जाता है। कड़क मंगल के दोष की शांति कराना चाहिए और इन्हीं लोगों को विवाह के संबंध में कुंडली मिलान करने की आवश्यकता बताई जाती है। 
 
1. कुंडली में मंगल ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ या उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ रही है तो वह सौम्य मंगल कहलाता है। 
2. मंगल यदि शुभ ग्रहों के साथ बैठा और उस पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि है या इसके विपरीत है तो वह मध्यम मंगल कहलाता है।
3. मंगल ग्रह के साथ कोई पापी ग्रह विराजमान हो या उस पर उन ग्रहों की दृष्टि हो तो वह कड़क मंगल कहलाता है।
 
मंगल दोष से बचने के 10 अचूक उपाय:
1. प्रथम भाव में मंगल है तो क्या करें:
 
1. चतुर्थ भाव में मंगल है तो क्या करें:
 
3. सप्तम भाव में मंगल है तो क्या करें:
 
4. अष्टम भाव में मंगल है तो क्या करें:
 
5. द्वादश भाव में मंगल है तो क्या करें
 
6. विवाह के पहले घट विवाह या अश्‍वत्‍थ विवाह जरूर करें। उज्जैन में मंगलनाथ पर होता है ये विवाह।
7. विवाह के पहले भात पूजा और मंगल देव का अभिषेक कराएं। उज्जैन में मंगलनाथ पर होती है ये पूजा।
8. मांगलिक दोष के जातकों को केसरिया रंग के गणपति जी अपने घर में रखना चाहिए।
9. प्रत्येक मंगलवार के दिन गुड़, मसूर की दाल और मंगल से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।
10. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए।
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