चंद्रमा वृषभ में उच्च, वृश्चिक में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में चंद्रमा बली और दसवें भाव में मंदा होता है। शनि की राशियों में चंद्र बुरा फल देता है। लेकिन यहां बारहवें घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : आसमानी पानी या बर्फ। रात के वक्त का तूफान जिससे बस्तियां उजड़े। शिक्षा की किमत हो या नहीं लेकिन दुकानदारी में महारत होगी।
यह घर बृहस्पति का है और चंद्रमा उसका मित्र है। अत: यहां स्थित चंद्रमा मंगल और मंगल से संबंधित चीजों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, लेकिन यह अपने शत्रु ग्रह बुध और केतु तथा उनसे संबंधित चीजों को नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए मंगल जिस भाव में बैठा है उससे जुड़ा व्यापार और चीजें जातक के लिए लाभदायक, जबकि बुध और केतु जिस घर में बैठे हैं उससे जुड़ा व्यापार और चीजें हानिकारक रहेंगी। बारहवें घर में स्थित चंद्रमा जातक के मन में अप्रत्याशित मुसीबतों और खतरों को लेकर एक साधारणसा डर पैदा करता है। जिससे जातक की नींद और मानसिक शांति भंग होती है। यदि चौथे भाव में स्थित केतु कमजोर और पीड़ित हो तो जातक के पुत्र और मां पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
चंद्र की सावधानियां :
1. धार्मिक साधु-संतों को कभी भी दूध और भोजन दान न दें
2. स्कूल, कॉलेज या अन्य कोई शैक्षणिक संस्थान न खोलें ।
3. आय से अधिक खर्च न करें। बचत करें।
4. गुरु के मंदे कार्य न करें। संतान का ध्यान रखें।
5. जुआ, सट्टा, व्याभिचार, मांस, मदिरा आदि बुराइयों से दूर रहें।
क्या करें :
1. गुरुवार का व्रत रखें और पीपल में नित्य जल चढ़ाएं।
2. नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. माता, पिता और गुरु का सम्मान करें।
4. धार्मिक स्थलों की यात्रा करें।
5. दूध में सोना बुझाकर दूध पियें।