राहु यदि है छठे भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 5 कार्य और जानिए भविष्य

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 24 जून 2020 (11:29 IST)
कुण्डली में राहु-केतु परस्पर 6 राशि और 180 अंश की दूरी पर दृष्टिगोचर होते हैं जो सामान्यतः आमने-सामने की राशियों में स्थित प्रतीत होते हैं। कुण्डली में राहु यदि कन्या राशि में है तो राहु अपनी स्वराशि का माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में है तब वह अपनी मूलत्रिकोण राशि में माना जाता है। कुण्डली में राहु यदि वृष राशि मे स्थित है तब यह राहु की उच्च स्थिति होगी। मतान्तर से राहु को मिथुन राशि में भी उच्च का माना जाता है। कुण्डली में राहु वृश्चिक राशि में स्थित है तब वह अपनी नीच राशि में कहलाएगा। मतान्तर से राहु को धनु राशि में नीच का माना जाता है। लेकिन यहां राहु के छठे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें, जानिए।
 
कैसा होगा जातक : मददगार हाथी। राहु शुभ है तो मुसिबत के समय साथ देगा। लाल किताब के अनुसार बुध और केतु से प्रभावित इस घर में राहु उच्च का होता है और अच्छे परिणाम देता है बशर्ते की जातक सावधानी का पालन करें। ऐसे में जातक सभी प्रकार की झंझटों या मुसीबतों के मुक्त होगा। जातक कपड़ों पर पैसा खर्च करेगा। जातक बुद्धिमान और विजेता होगा। लेकिन जब बुध या मंगल ग्रह बारहवें भाव में हो तो राहु बुरा परिणाम देता है। जातक विभिन्न बीमारियों या धनहानि से ग्रस्त होता है। यहां स्थित राहु अशुभ है तो जातक अपने भाई बहनों को नुकसान पहुंचाएगा।
 
5 सावधानियां :
1. संतान और भाई-बहन के साथ विवाद ना करें।
2. मन में चोरी के विचार ना रखें।
3. शराब, मांस, व्यभिचार से दूर रहें।
4. व्यर्थ में ही रुपया पानी की तरह ना बहाएं।
5. झूठ ना बोलें और किसी को धोका ना दें।
 
क्या करें : 
1. गुरुवार या एकादशी का व्रत रखें।
2. दुर्गामाता या हनुमानजी की उपासना करें।
3. अपनी जेब में काला सुरमा रखें।
4. धर्म-कर्म के कामों से रुचि रखें।
5. काले कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाते रहें।

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