बैंकों के लिए पूँजी जुटाना बड़ी चुनौती

Webdunia
गुरुवार, 29 नवंबर 2007 (09:28 IST)
रिजर्व बैंक ने कहा है कि तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में वाणिज्यिक बैंकों के परिचालन को बनाए रखने के लिए बाजार से निरंतर पूँजी जुटाना सबसे बड़ी चुनौती है।

रिजर्व बैंक का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भविष्य में अपनी लाभप्रदता को बनाए रखने के लिए सतर्क होने की जरूरत है।

देश में 'बैंकिंग क्षेत्र का रुख और उन्नति' पर इस वर्ष की रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लाभ मार्जिन में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते हाल के वर्षों में खासा दबाव देखने को मिला है।

वाणिज्यिक बैंकों को भविष्य में लाभप्रदता को बनाए रखने के लिए एक तरफ जहाँ गैर ब्याज आय के नए स्रोतों को तलाशना होगा वहीं परिचालन लागत को भी काबू में करने की जरूरत है। रिपार्ट में कहा गया है कि 2006-07 में वाणिज्यिक बैंकों का परिचालन और प्रदर्शन अच्छा रहा है।

लगातार तीसरे साल ऋण उठाव में जोरदार बढ़ोतरी हुई। सावधि जमाओं के बढ़ने से वाणिज्यिक बैंकों की जमा दर में जोरदार उछाल आया। ब्याज आय में बढ़ोतरी और परिचालन खर्चों को काबू में करने से अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान गैर निष्पादित राशि (एनपीए) की वसूली प्रक्रिया में तेजी से कुल और शुद्ध एनपीए में कमी आई है।

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