सोना है सदा के लिए

भाव में घट-बढ़ संभव

विट्‍ठल नागर
गुरुवार, 24 जनवरी 2008 (16:04 IST)
जब भी वैश्विक मुद्रा व शेयर बाजार में उठापटक (वोलेटाइल) की स्थिति बनती है, तब बुलियन बाजार में सोने के भाव बढ़ते हैं। विश्व बाजार में सोने के भाव डॉलर में निर्धारित होते हैं और जब भी डॉलर की विनिमय दर यूरो की तुलना में घटती है तो सोने के भाव बढ़ते हैं। सोना व क्रूड ऑइल दोनों खनिज हैं इसलिए उनमें चोली-दामन का संबंध है और क्रूड ऑइल के भाव में हर तेजी सोने का भाव बढ़ाती है।

विश्व में युद्ध या तनाव की स्थिति बनती है अथवा क्रूड ऑइल के उत्पादन को धक्का पहुँचता है तो सोने के भाव में मजबूती आती है। यही नहीं, जब भारत में सोने का आयात बढ़ता है तो विश्व बाजार में सोने के भाव में मजबूती आ जाती है। फिलहाल जो स्थितियाँ हैं, वे सब सोने के भाव में वृद्धि लाने में सहायक बनी हुई हैं, क्योंकि पेट्रोल उत्पादक देश केन्या में दंगों की वजह से उत्पादन घट गया है, डॉलर के भाव यूरो की तुलना में घट रहे हैं एवं दुनियाभर के मुद्रा व शेयर बाजार में उठापटक की स्थिति बनी हुई है।

यहाँ तक कि भारत में भी सोने की माँग बढ़ गई है। वैसे भारत दुनिया का सोने का सबसे बढ़ा आयातक देश है। प्रतिवर्ष 71 करोड़ टन सोना आयात करता है, किंतु वर्ल्ड गोल्ड कॉउंसिल के अनुसार वर्ष 07 में भारत में सोने का आयात 90 करोड़ टन के करीब होने का अनुमान है। विश्व में सोने के उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं हो रही है इसलिए भारत में सोने का बढ़ता आयात विश्व में सोने के भाव में मजबूती लाने में सहायक होता है।

भारत में अक्टूबर से दिसंबर माह में सोने की भारी माँग रहती है। वर्षभर में सोने के भाव घटते-बढ़ते रहते हैं किंतु इस मौसम में भाव तेजी में आ जाते हैं। इराक व फिर ईरान के विरुद्ध अमेरिका द्वारा निर्मित तनाव की स्थिति में सोने के भाव को अच्छी मजबूती मिली थी फिर क्रूड ऑइल के बढ़ते भावों ने सोने को अधिक मूल्यवान बना दिया।

वर्ष 07 में इन्हीं कारणों से सोने के भाव 30 प्रश बढ़ गए। वर्ष 1979 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। वैश्विक वस्तु बाजार में काम करने वाली ब्रोकरेज कंपनी के विश्लेषकों के मत की स्थिति अभी भी तेजी की है हालाँकि सोने के भाव में करेक्शन आएँगे, क्योंकि सोने के भावों ने 800 डॉलर प्रति औंस के दबाव (रेसिस्टन्स) की सीमा लाँघ दी है।

अभी तक के सर्वकालिक ऊँचे भाव 873 डॉलर प्रति औंस जनवरी 1980 में थे। लंदन में 3 जनवरी 08 को हाजर कामकाज में सोने के भाव 868 डॉलर प्रति औंस बोले गए थे, जो बाद में खिसककर 863.70-864.40 डॉलर प्रति औंस हो गए थे। इस तरह लंदन में सोने ने 28 वर्ष पूर्व की ऊँची सीमा को लाँघ दिया था। भारत में भी सोने के भाव 11,000 रु. प्रति दस ग्राम हो गए।

विश्लेषकों की राय में अमेरिका में बन रही आर्थिक मंदी की स्थिति से सोने के भाव में घट-बढ़ की स्थिति बन सकती है, क्योंकि उस हालत में क्रूड ऑइल के भाव घट सकते हैं, क्योंकि अमेरिका व योरप की अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार हो जाएगी तो पेट्रोल व गैस की माँग घटेगी। दूसरी ओर अगर अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ती है तो सोने के भावों को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि तब निवेशक सोने में अधिक निवेश करना सुरक्षित समझेंगे।

शेयर बाजार में गिरावट की स्थिति बनने पर भी सोने में निवेश अधिक बढ़ेगा और सोने में भाव वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए विश्लेषकों को लगता है कि भाव की प्रवृत्ति निश्चय ही दमदार रह सकती है। वर्ल्ड गोल्ड कॉउंसिल के विचार में उन्नत देशों में अभी अनिश्चय की जो स्थिति बनी हुई है, वह कुछ लंबे समय तक बनी रहती है तो उन लोगों को सोने में निवेश का अच्छा लाभ मिलेगा जिन्होंने अभी तक ऊँचे भाव पर सोना नहीं खरीदा है।

कहने का मतलब यही है कि भावों की प्रवृत्ति निश्चय ही तेजी की है किंतु यह सोचना गलत होगा कि भाव जोरदार ढंग से बढ़ेंगे। भाव जब-तब घटेंगे भी एवं धीरे-धीरे बढ़ेंगे भी। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ब्याह-शादी के मौसम के बाद भाव में कुछ गिरावट आ सकती है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना बैंकें खरीदती-बेचती हैं, वहीं निवेशक आस्ति के रूप में खरीदते हैं। जब किसी देश की मुद्रा की विनिमय दर डॉलर की तुलना में घट जाती है तो वे मुद्रा के भाव के घाटे को पूरा करने के लिए सोना खरीदते हैं। वास्तव में हर देश राजनीतिक अस्थिरता, क्षेत्रीय मतभेद की स्थिति में सोने में निवेश करना सबसे अधिक सुरक्षित समझते हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति से सोना ही सुरक्षा प्रदान करता है।

विश्व बाजार में जितना सोना आता है उसका दो-तिहाई हिस्सा बैंकें, निजी संग्राहक मुद्रा व मुद्रास्फीति से सुरक्षित रहने के लिए खरीदते हैं जबकि विकासशील देश बचत की गर्ज से सोना खरीदते हैं। शेष एक तिहाई सोने का उपयोग ज्वेलरी में होता है। लिहाजा ज्वेलरी क्षेत्र की माँग की तुलना में निवेश क्षेत्र की माँग सोने के भाव को महँगा बनाती है।

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