वाशिंगटन। स्टार्टअप परिवेश के लिए सबसे बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के दिवालिया होने से क्षेत्र में रातोरात ही अनिश्चितता के हालात बन गए हैं। विशेषज्ञों ने इससे मामले से भारत के स्टार्टअप परिदृश्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई है।
दुनिया के जानेमाने प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और उद्यम पूंजी कंपनियां सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) को अच्छी तरह से जानती हैं। एसवीबी के दिवालिया होने के बाद इसके नियामक ने बैंक की संपत्ति को जब्त कर उसे बंद कर दिया है।
बैंक में खाता रखने वाले कुछ स्टार्टअप को अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें डर है कि अगल वे अपने धन का इस्तेमाल नहीं कर सके, तो उन्हें अपनी परियोजनाओं को रोकना पड़ सकता है।
सिलिकॉन वैली में वेंचर कैपिटलिस्ट एवं आरंभिक चरण के निवेशक आशु गर्ग ने कहा कि हम आशा करते हैं कि यह मामला जल्द सुलझ जाएगा। लेकिन मेरा मानना है कि इससे भारतीय स्टार्टअप बहुत अधिक प्रभावित होंगे।
गर्ग ने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक भारतीय स्टार्टअप के लिए एक वास्तविक समर्थक रहा है और उसने उन्हें बैंकिंग सेवाएं दी हैं। अमेरिका में कारोबार करने वाले ज्यादातर भारतीय स्टार्टअप इसी बैंक की सेवाएं लेते हैं। यह उन चुनिंदा संस्थानों में से है जो भारतीय बैंकों के साथ काम करने का इच्छुक है। अन्यथा बड़ी संख्या में बैंकिंग संस्थान विदेशी ग्राहकों के साथ काम नहीं करना चाहते।
सिलिकॉन वैली में हर तीसरे स्टार्टअप के संस्थापक भारतीय-अमेरिकी हैं, इस तथ्य पर गौर करते हुए विशेषज्ञ कहते हैं कि इन संस्थापकों को अगले हफ्ते से ही परेशानी का सामना करना पड़ेगा, कर्मचारियों को वेतन देने और बुनियादी भुगतान में दिक्कतें आ सकती हैं। एसवीबी के पतन का भारतीय-अमेरिकी लोगों और उनकी कंपनियों पर बहुत गंभीर असर होने वाला है।
सिलिकॉन वैली के वेंचर कैपिटलिस्ट के एक समूह ने हालिया घटनाक्रम के विषय पर एक बैठक की जिसके बाद कहा कि बीते 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ है वह बहुत ही निराशाजनक और चिंता पैदा करने वाला है।
आरंभिक चरण के निवेशक भारतीय-अमेरिकी नवीन चड्ढा ने कहा कि यदि एसवीबी को खरीदने और उसमें पूंजी लगाने के प्रयास होते हैं तो हम इसका मजबूती से समर्थन करेंगे और हमारी पोर्टफोलियो कंपनियों को बैंकिंग संबंध बनाए रखने के लिए प्रेरित करेंगे। (भाषा)