नई दिल्ली। सरकार द्वारा सोने की 50,000 रुपए से अधिक की खरीद पर पैन और आधार कार्ड की अनिवार्यता को वापस लेने के बाद इस बार दिवाली पर बहुमूल्य धातु की बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने कहा, 'यह एक बड़ी राहत है। सर्राफा कारोबारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए दिवाली का इससे बेहतर तोहफा नहीं हो सकता है।'
धनतेरस 17 अक्टूबर को है। इस बार धनतेरस पर बिक्री में काफी सुधार की उम्मीद है। मुख्य रूप से धनतेरस उत्तर और पश्चिम भारत में बनाया जाता है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी और अन्य कीमती सामान खरीदना शुभ माना जाता है। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को सोना 30,555 रुपए प्रति दस ग्राम पर था। वहीं चांदी का भाव 40,600 रुपए किलोग्राम पर चल रहा था।
खंडेलवाल ने कहा कि पिछले कुछ महीनों की सुस्ती के बाद हम बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस अधिसूचना से सर्राफा कारोबारियों से ज्यादा उपभोक्ता प्रभावित हुए थे क्योंकि पैन या आधार नंबर देने में वे हिचकते थे। इस आदेश को वापस लिए जाने से कारोबार सुगमता की स्थिति सुधरेगी।
इसी तरह की राय जताते हुए केरल के कल्याण ज्वेलर्स के निदेशक राजेश कल्याणरमन ने कहा कि यह सकारात्मक कदम है और इससे आगामी दिनों में बिक्री सुधरेगी।
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल धनतेरस पर सोने और आभूषणों की बिक्री बेहतर मानसून और अनुकूल कीमतों की वजह से 25 प्रतिशत बढ़ी थी।
सरकार ने 23 अगस्त को अधिसूचना जारी कर सर्राफा कारोबारियों को मनी लांड्रिंग रोधक कानून 2002 (पीएमएलए) के तहत लाने की घोषणा की थी। उनसे ऐसे खरीदारों की सूचना देने को कहा गया था जो 50,000 रुपए से अधिक की खरीद कर रहे हैं। ऐसे में अपने ‘ग्राहक को जानिए’ नियम के तहत पैन और आधार को अनिवार्य कर दिया गया था।
जीएसटी परिषद की पिछले सप्ताह हुई बैठक में इस अधिसूचना को वापस लेने की घोषणा की गई। भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। अपनी सालाना 900 से 1,000 टन की खपत के एक बड़े हिस्से को वह आयात से पूरा करता है। (भाषा)