डॉलर के मुकाबले में रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। दूसरी तरफ जीएसटी रिफार्म को लेकर चर्चा चल रही है। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने रुपए की गिरावट पर कहा कि हम इस पर नजर रख रहे हैं। घरेलू मुद्रा में गिरावट केवल डॉलर के संदर्भ में है। यह केवल रुपए का मामला नहीं है और दूसरे देशों की करेंसीज भी प्रभावित हैं।
निर्यातकों पर अमेरिकी शुल्क के असर और उनके लिए सहायता उपायों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार में इस पर काम जारी है। संबंधित मंत्रालय और विभाग इस पर काम कर रहे हैं। जो निर्यातक 50 प्रतिशत शुल्क से प्रभावित हुए हैं। उनकी सहायता के लिए के लिए काम जारी है।
रुपए में क्यों आ रही है गिरावट
रुपए की गिरावट का सबसे बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ लगाना है। 2024-25 में दोनों देशों के बीच 131.8 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें 86.5 अरब डॉलर का निर्यात और 45.3 अरब डॉलर का आयात शामिल है। ऐसे में टैरिफ का असर भारतीय निर्यातकों और रुपए दोनों पर पड़ता दिखाई दे रहा है।
अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50% तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी है। इनमें से 25% का पेनल्टी रूस से कच्चा तेल खरीदने पर है। टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, झींगे, चमड़ा, फुटवियर, पशु उत्पाद, केमिकल्स और मशीनरी जैसे सेक्टर पर सीधा असर पड़ा है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।
आम आदमी पर कैसे पड़ता है असर
रुपए की कमजोरी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा। भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है। रुपए की कमजोरी से आयात महंगा होगा और इसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिख सकता है। मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगे हो सकते हैं, क्योंकि इनमें ज्यादातर पार्ट्स बाहर से आते हैं। डॉलर महंगा होने से विदेश यात्रा, स्टडी और अन्य सेवाओं पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma