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भारत कैसे कर सकता है तेल उत्पादक देशों की बराबरी, नितिन गडकरी ने बताया प्लान

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , बुधवार, 20 अगस्त 2025 (18:08 IST)
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि यदि देश में हाइड्रोजन बनाने की लागत को एक डॉलर प्रति किलोग्राम तक लाया जा सका, तो वह ऊर्जा आयातक से वैश्विक निर्यातक बन सकता है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट में आयोजित 24वें दरबारी सेठ स्मृति व्याख्यान में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में हाइड्रोजन की लागत लगभग पांच से छह डॉलर प्रति किलोग्राम है, जो पारंपरिक ईंधनों की तुलना में काफी महंगी है।
 
गडकरी ने कहा कि यदि हम इसे एक डॉलर प्रति किलोग्राम तक लाने में सफल हो जाते हैं, तो भारत मौजूदा तेल उत्पादक देशों के समान स्थिति में पहुंच जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन, ऊर्जा के भविष्य को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
 
मंत्री ने कहा कि सबसे बड़ी बाधा हाइड्रोजन ‘फिलिंग स्टेशन’ स्थापित करने और ईंधन के परिवहन के लिए प्रणालियां विकसित करने में है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में तत्काल और व्यापक स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। ऊर्जा के लिए कचरे के उपयोग की संभावना के बारे में गडकरी ने कहा कि नगर निगम का ठोस कचरा ही काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि हम कचरे को अलग करें, उसमें से जैविक पदार्थ निकालकर उसे ‘बायोडाइजेस्टर्स’ में डालें तो उससे मीथेन गैस बनती है। मीथेन को सीएनजी में बदलने के बजाय यदि हम इसका उपयोग ग्रीन हाइड्रोजन बनाने में करें तो केवल देश के नगर निगम के कचरे से ही बेहद सस्ती हाइड्रोजन उत्पन्न हो सकती है।’’ गडकरी ने कहा कि हाइड्रोजन, जीवाश्म ईंधन का स्थान ले लेगा।
 
उन्होंने कहा कि यह न केवल परिवहन के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि दवा, रसायन और इस्पात के क्षेत्र में भी इसका उपयोग होगा। इससे ट्रेनें चलेंगी, हवाई जहाज उड़ेंगे और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।  वैश्विक वाहन बाजार में देश के उदय पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि देश हाल ही में जापान को पछाड़कर सातवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। भाषा Edited by : Sudhir Sharma

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