देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। इससे पहले जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में कुल कर्ज 2.34 ट्रिलियन डॉलर या करीब 200 लाख करोड़ रुपए था। इस तरह मात्र 6 माह में 5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बढ़ गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा कि सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा।
आईएमएफ के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि पर आगे आने वाले जोखिम संतुलित हैं। मगर उम्मीद से अधिक पूंजीगत व्यय और अधिक रोजगार के मद्देनजर वृद्धि दर का अनुमान 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया गया है।
हालांकि, आईएमएफ की इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने असहमति व्यक्त की है और उसका मानना है कि सरकारी कर्ज से जोखिम काफी कम है, क्योंकि ज्यादातर कर्ज भारतीय मुद्रा में ही है।
कर्ज में किसकी कितनी हिस्सेदारी : सितंबर तिमाही में केंद्र सरकार की 161.1 लाख करोड़ का कर्ज था। वहीं राज्यों पर 50.18 फीसदी कर्ज था। कुल कर्ज में ट्रेजरी बिल की हिस्सेदारी 4.51 फीसदी रही, जो 9.25 लाख करोड़ है।
क्या बोली सुप्रिया श्रीनेत : इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि IMF ने चेतावनी देते हुए कहा भारत की GDP से ज्यादा होने वाला है देश का कुल कर्ज! उन्होंने कहा कि 2014 में देश पर 54 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था जो 2023 में बढ़कर 205 लाख करोड़ रुपए हो गया।
श्रीनेत ने कहा कि आजादी के बाद 67 साल में 14 प्रधानमंत्रियों ने कुल 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया, PM मोदी ने अकेले ही 150 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लाद दिया।
इस पर दीपेन्दर यादव नामक यूजर ने कहा कि भारत का सार्वजनिक ऋण से जीडीपी अनुपात 2005-06 में 81 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 84 प्रतिशत और 2022-23 में वापस 81 प्रतिशत हो गया है। यह बात बतानी चाहिए। पैसे की कीमत में बहुत फर्क आ गया है कुछ पैसे मे मिले वाला घी आज 800 रुपए का मिल रहा है। कुछ रुपए में मिलने वाली जमीन आज करोड़ों में मिलती है।
Edited by : Nrapendra Gupta