नई दिल्ली। रिलायंस रिटेल ने 'हैंडमेड इन इंडिया' कार्यक्रम की घोषणा की है। इसके तहत प्रामाणिक दस्तकारी उत्पादों को प्रदर्शित करने और विश्व स्तर पर समृद्ध भारतीय कला को बढ़ावा देने के लिए रिलायंस रिटेल 'स्वदेश' नाम से रिटेल स्टोर्स खोलेगा। इससे हजारों कारीगरों और शिल्पकारों को न केवल स्थायी आजीविका मिलेगी, साथ ही भारतीय कला को दुनियाभर के बाजार भी उपलब्ध होंगे।
स्वदेश स्टोर्स में भारतीय कारीगरों का बनाया सामान 'स्वदेश ब्रांड' के तहत बाजार में उतारा जाएगा। पहला स्वदेश स्टोर इसी वर्ष की दूसरी छमाही में खुलने की उम्मीद है। इसमें कारीगरों से सीधे प्राप्त माल जैसे कि हस्तनिर्मित वस्त्र, हस्तशिल्प, कृषि उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला होगी। स्वदेश भारतीय कारीगरों और प्रामाणिक हस्तनिर्मित उत्पादों के विक्रेताओं को दुनियाभर के उपभोक्ताओं से जोड़ने के लिए एक वैश्विक बाज़ार का निर्माण भी करेगा।
रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की निदेशक ईशा अंबानी ने कहा कि भारतीय कला और शिल्प का भविष्य एक रोमांचक चरण में है। मरते हुए कला रूपों को पुनर्जीवित करने और स्थानीय कारीगरों, बुनकरों और शिल्पकारों के लिए इको-सिस्टम बनाने और एक मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में हमारे पिछले प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। हमारा स्टैंडअलोन हैंडीक्राफ्ट डेस्टिनेशन स्टोर फॉर्मेट, 'स्वदेश' अब तैयार है। यह परिधान, होम टेक्सटाइल्स, होम डेकोर, फर्नीचर, ज्वैलरी, वेलनेस उत्पादों सहित काफी कुछ प्रदर्शित करेगा।
ईशा अंबानी ने अपने बयान में कहा कि यह देश के कारीगरों के लिए एक महान अवसर है और इस अवसर को साकार करने के लिए रिलायंस रिटेल विभिन्न सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि विभिन्न स्थानीय कला रूपों को राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने में मदद मिल सके। इसके साथ ही रिलायंस रिटेल ने रिलायंस फाउंडेशन के साथ विभिन्न स्वदेशी शिल्पों के लिए मुख्य उपकेंद्रों की पहचान करने के लिए गठबंधन किया।
कारीगर समुदायों से सीधे 100% प्रामाणिक शिल्प उत्पादों को खरीदने के लिए स्वदेश विभिन्न सरकारी उपक्रमों और राज्य सरकारों के साथ साझेदारी कर रहा है और कपड़ा मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर चुका है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार के एमएसएमई और कपड़ा विभाग के साथ भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य एक स्वस्थ, गतिशील इको सिस्टम का निर्माण करना है। एमओयू पर आज कोलकाता में बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में हस्ताक्षर किए गए।