Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रुपया टूटकर सर्वकालिक निचले स्तर पर, अब कैसे गिरते रुपए को उबारेगी मोदी सरकार?

हमें फॉलो करें रुपया टूटकर सर्वकालिक निचले स्तर पर, अब कैसे गिरते रुपए को उबारेगी मोदी सरकार?

नृपेंद्र गुप्ता

, शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2022 (12:36 IST)
मुंबई। रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे टूटकर 82.33 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। रुपए में लगातार आ रही गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। UPA राज में भाजपा और नरेंद्र मोदी हमेशा गिरते रुपए को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। अब देखना हैं ‍कि रुपए को उबारने के लिए मोदी सरकार क्या कदम उठाती है? 
 
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 82.19 पर खुला, और आगे गिरकर 82.33 पर आ गया। इस तरह रुपया पिछले बंद भाव के मुकाबले 16 पैसे टूट गया। भारतीय मुद्रा गुरुवार को डॉलर के मुकाबले पहली बार 82 के स्तर से नीचे बंद हुई थी। बीते कारोबारी सत्र में रुपया 55 पैसे गिरकर 82.17 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ।
 
क्या है रुपए में कमजोरी का कारण : बाजार विशेषज्ञ विकास जोशी ने बताया कि रुपए में गिरावट के पीछे 3 बड़े कारण है। अमेरिका में महंगाई दर के आंकड़े आने वाले हैं, जो कि डरावने लग रहे हैं। यूरोप की टॉप 100 कंपनियों के CEO के सर्वे में 97 फीसदी लोगों ने माना है कि दुनिया में मंदी आ सकती है। छंटनी चालू हो गई है और ग्लोबल कंपनियां नई वैकेंसी नहीं निकाल रही है।
 
उन्होंने कहा कि रुपए में गिरावट का एक बड़ा कारण अरब देशों द्वारा क्रूड सप्लाय में कमी का फैसला भी है। हम क्रूड इंपोर्ट करते हैं और इसके लिए डॉलर की आवश्यकता होती है। हमारे यहां डॉलर की डिमांड बढ़ गई है और इस वजह से रुपया कमजोर हो रहा है। हमारा खुद का डॉलर रिजर्व गिरता जा रहा है। एक्सपोर्ट गिर रहा है और इंपोर्ट बढ़ रहा है। अमेरिका और यूरोप में मंदी आने पर आईटी कंपनियों को ऑर्डर कम मिलते हैं। इसलिए आईटी कंपनियां सबसे पहले अपने एक्सपेंसेस कम करती है।
 
मोदी सरकार किस तरह इस स्थिति से उबर सकती है : जोशी ने बताया कि मोदी सरकार इस स्थिति से ऊबर सकती है। सरकार को इंडियन प्रोडक्ट्स को कॉम्पिटेटिव बनाने के प्रयास करने चाहिए। टैक्स सिस्टम को सरल करने के प्रयास करने चाहिए। ताकि भारतीय उत्पाद अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहे।

उन्होंने कहा कि डॉलर के एक स्तर पर जाने के बाद RBI इंटरवेन कर सकती है। इसका मतलब है कि एक स्तर पर आरबीआई अपने पास मौजूद रिजर्व में से डॉलर बेचने लग जाता है। इस कारण रुपए में मजबूती आती है। फिलहाल आरबीआई ने इंटरवेन नहीं किया है। केंद्रीय बैंक इतनी जल्दी यह फैसला नहीं लेता है। मेरे हिसाब से 83.4 से 84 के स्तर पर पहुंचने पर शीर्ष बैंक यह कदम उठा सकता है। यह पहले पता नहीं चलता है।
 
webdunia
कमजोर होता चला गया रुपया : 15 अगस्त 1947 में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपए थी। इसके बाद डॉलर लगातार मजबूत होता चला गया और रुपए की स्थिति बेहद कमजोर हो गई। 1991 में खाड़ी युद्ध और सोवियत संघ के विघटन के कारण भारत बड़े आर्थिक संकट में घिर गया और डॉलर 26 रुपए पर पहुंच गया। 1993 में एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए 31.37 रुपए लगते थे। साल 2008 खत्म होते रुपया 51 के स्तर पर जा पहुंचा। 
 
26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी ने एनडीए के प्रचंड बहुमत के बाद देश की बागडोर संभाली थी, उस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत करीब 58.93 रुपए थी। मोदी राज में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर ही बना रहा। डॉलर तेजी से कुलाचे भरता रहा और जुलाई 2022 में इसने 80 का आंकड़ा छू लिया। 
 
क्या 100 रुपए पार जाएगा रुपया : कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पिछले दिनों एक बयान में दावा किया था कि इतिहास में रुपए को सबसे ज्यादा कमजोर करने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या पेट्रोल की तरह रुपए भी 100 डॉलर के पार जाएगा। उन्होंने कहा कि जब यूपीए सरकार सत्ता छोड़ कर 2014 में गई थी तब एक डॉलर के मुकाबले रुपया 58 के लेवल पर था। लेकिन आज 80 के पार है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बर्बरता, एकतरफा प्यार में लड़की को जिंदा जलाया, कर दिया था शादी से इंकार