शेयर बाजार में पिछले 5 सत्रों की लगातार गिरावट के चलते निवेशकों को 8 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। दरअसल, शेयर बाजार में आ रही गिरावट के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही रुपए की विनिमय दर में गिरावट के साथ ही बढ़ती मुद्रास्फीति ने भी निवेशकों का भरोसा तोड़ा है। युद्ध का असर तो यूरोपीय शेयर बाजारों में देखने को मिल रहा है। चीन और हांगकांग के शेयर बाजार भी इस गिरावट से अछूते नहीं हैं।
ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्याती के मुताबिक एफआईआई की बिकवाली के अलावा, ऊर्जा के दाम में तेजी, रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव तथा अमेरिका में बांड प्रतिफल में वृद्धि बाजार के लिए चिंता का मुख्य विषय हैं।
वहीं, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल तथा धातु के दाम में तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति बाजार के लिए चिंता के कारण हैं। उनका मानना है कि शेयर बाजार में गिरावट की घरेलू आईटी कंपनियों ने की।
दरअसल, कमजोर वित्तीय परिणाम से सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के समक्ष चुनौतियों का पता चला है। विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी निकालने के चलते भी भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहा है। रुपए की विनिमय दर में गिरावट तथा बढ़ती मुद्रास्फीति को लेकर चिंता से भी निवेशकों का भरोसा प्रभावित हुआ है।
ऐसा नहीं है कि भारत के शेयर बाजारों में ही गिरावट देखने को मिल रही है एशिया के अन्य बाजारों में चीन में शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में रहे। दूसरी ओर, यूक्रेन ने कहा है कि पूर्वी क्षेत्र में रूस ने हमले तेज कर दिए हैं। इसे युद्ध का अगला चरण माना जा रहा है। इसका असर यूरोप के बाजारों पर देखने को मिल रहा है।
5 दिन में डूबे 8 लाख करोड़ : शेयर बाजार में 5 दिनों से जारी गिरावट के साथ निवेशकों को 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। बाजार में 5 दिनों की गिरावट के साथ बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 8 लाख 8 हजार 67.6 करोड़ रुपए घटकर 2 करोड़ 66 लाख 2 हजार 728.45 करोड़ पर आ गया। सेंसेक्स कुल मिलाकर 5 सत्रों में 2,984.03 अंक यानी 5.01 प्रतिशत नीचे आ गया है।