नई दिल्ली। कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) जून में मामूली रूप से घटकर 12.07 प्रतिशत रह गई।
हालांकि डब्ल्यूपीआई जून में लगातार तीसरे महीने दो अंकों में रही, जिसका मुख्य कारण पिछले साल का कम आधार है। जून 2020 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति शून्य से 1.81 प्रतिशत नीचे थी।
विनिर्मित उत्पादों की महंगाई बनी रहने के बावजूद खाद्य पदार्थों और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के चलते लगातार 5 महीनों की तेजी के बाद जून में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में नरमी आई।
विशेषज्ञों ने कहा कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति और खुदरा मुद्रास्फीति के लगातार दो अंकों में रहने से आने वाले वक्त में मौद्रिक नीति पर दबाव देखने को मिल सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि डब्ल्यूपीआई के अक्टूबर, 2021 तक उच्च स्तर पर रहने का अनुमान है।
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मुद्रास्फीति की वार्षिक दर जून 2021 (जून 2020 के मुकाबले) 12.07 प्रतिशत है, जो जून 2020 में शून्य से 1.81 प्रतिशत नीचे थी।
बयान में कहा गया कि जून 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से कम आधार प्रभाव और पेट्रोल, डीजल (एचएसडी), नेफ्था, एटीएफ, फर्नेस ऑयल जैसे खनिज तेलों और मूल धातु, खाद्य उत्पाद, रासायनिक उत्पाद जैसे विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण है। समीक्षाधीन अवधि में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति घटकर 32.83 प्रतिशत हो गई, जो मई में 37.61 प्रतिशत थी।
इसी तरह खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति भी जून में घटकर 3.09 प्रतिशत रह गई, जो मई में 4.31 प्रतिशत थी। हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा हुआ। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति जून में 10.88 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने में 10.83 प्रतिशत थी।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में नरमी जारी रहने की उम्मीद है, हालांकि सितंबर तिमाही में यह दो अंकों में बनी रहेगी।
उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि महंगे ईंधन और बिजली के चलते महंगाई उद्योग की लागत को बढ़ा रही है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ रहा है। (भाषा)