पर्दे के पीछे का महारथी

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जब कोई टीम मैदान में जीत हासिल करती है तो तारीफ खिलाड़ियों की होती है। लेकिन पर्दे के पीछे रहकर टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कोच को प्रायः उतनी शोहरत नहीं मिलती। अंडर-19 क्रिकेट में कोच की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। यहाँ खिलाड़ियों की उम्र बहुत कम होती है और उन्हें अनुभव भी नहीं होता।

ऐसे में अनुभवी कोच द्वारा बनाई रणनीतियाँ जीत और हार के बीच मुख्य अंतर होती हैं। अंडर-19 विश्व कप का फाइनल मुकाबला भी बहुत नजदीकी था, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया वह काबिले तारीफ रहा। भारतीय युवाओं को विश्व चैंपियन बनाने में डेव व्हाटमोर की योजनाओं का कमाल था।

अपने प्रभावी मार्गदर्शन के कारण डेव व्हाटमोर को क्रिकेट जगत में बहुत सम्मान हासिल है। ग्रेग चैपल, क्लाइव लॉयड और जावेद मिंयादाद जैसे महान क्रिकेटर भी कोचिंग के क्षेत्र में वह कामयाबी हासिल नहीं कर सके जो व्हाटमोर को मिली।

व्हाटमोर का करियर भी बहुत रोचक रहा है। उनका जन्म श्रीलंका में हुआ, लेकिन वे ऑस्ट्रेलिया चले गए। अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाजी करियर सिर्फ 10 माह का रहा। इस दौरान उन्होंने सिर्फ सात टेस्ट और एक वन-डे खेला। हालाँकि वे विक्टोरिया के लिए 13 वर्षों तक प्रथमश्रेणी क्रिकेट खेले, लेकिन अपनी छाप नहीं छोड़ सके।

बतौर खिलाड़ी ज्यादा सफलता नहीं मिलते देख व्हाटमोर ने 1989 में कोचिंग का रूख किया। चार वर्ष बाद ही उन्हें अपने जन्म स्थल श्रीलंका से बुलावा आ गया। 1996 के विश्व कप में व्हाटमोर ने अपनी आक्रामक रणनीतियों से क्रिकेट में नए अध्याय की शुरुआत की।

उन्होंने शुरुआती ओवरों में मैदानी क्षेत्ररक्षण पाबंदियों का उपयोग करते हुए ओपनरों को खुलकर खेलने को कहा। कमजोर समझे जाने वाली श्रीलंकाई टीम ने क्रिकेट पंडितों को हैरान करते हुए यह विश्व कप जीता। इसके बाद व्हाटमोर ने इंग्लिश काउंटी लैंकाशायर का रुख किया।

काउंटी टीम ने 1998 में वन-डे चैंपियशिप जीती और 1999 में राष्ट्रीय क्रिकेट लीग पर कब्जा जमाया। मजबूत टीमों को जिताने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं लगती, लेकिन कमजोर टीमों को चैंपियन बनाना असली चुनौती होता है।

ऐसी ही चुनौतियों को व्हाटमोर ने स्वीकार किया। श्रीलंका को चैंपियन बना चुके इस दिग्गज कोच के हाथों में वर्ष 2007 के विश्व कप में बांग्लादेश की कमान थी। बांग्लादेश के अनजान खिलाड़ियों ने सभी की नींद हराम कर दी। वे विश्व कप तो नहीं जीत सके, लेकिन पडोसी भारत और खिताब की दावेदार दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों को शिकस्त दी। यह हार भारत के शुरुआती दौर में ही बाहर होने का कारण बनी।

बांग्लादेशी टीम ने सुपर-एट दौर के लिए पात्रता हासिल की। इसके बाद व्हाटमोर ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के साथ जुड़ते हुए युवा टीम को तैयार करने की जिम्मेदारी संभाली। उन्हें राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का निदेशक बनाया गया। अंडर-19 विश्व कप में युवा भारतीय टीम की जिम्मेदारी उन्होंने ही संभाली।

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