भारतीयों पर नहीं चला फ्लिंटॉफ का जादू

Webdunia
मंगलवार, 7 अगस्त 2007 (14:47 IST)
इंग्लैंड की एकदिवसीय टीम में वापसी करने वाले एंड्रयू फ्लिंटॉफ भारत के खिलाफ अधिकतर मैचों में अपनी टीम को जीत दिलाने में नाकाम रहे हैं, लेकिन भारतीय थिंक टैंक को इस स्टार ऑलराउंडर के लिए अभी से रणनीति तैयार करनी होगी।

टखने के आपरेशन के बाद फ्लिंटॉफ टेस्ट श्रृंखला में नहीं खेल पाए, लेकिन वह एकदिवसीय मैचों में भारत के लिये बड़ा खतरा बन सकते हैं। फ्लिंटॉफ के अलावा एक अन्य ऑलराउंडर रवि बोपारा की भी इंग्लिश टीम में वापसी हुई है। इन दोनों की मौजूदगी में भारत को इंग्लैंड की टीम के शानदार संतुलन से भी जूझना पड़ सकता है।

वेस्टइंडीज में विश्व कप में इंग्लैंड जो खिलाड़ी अपने खेल से प्रभावित करने में सफल रहे थे, उनमें भारतीय मूल के बोपारा भी शामिल थे। उन्हें केवल नौ एकदिवसीय मैच खेलने का अनुभव है, लेकिन विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ अर्धशतक जमाकर उन्होंने दबाव में अच्छा प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता का अच्छा परिचय दे दिया था।

जहां तक फ्लिंटॉफ का सवाल है तो उन्होंने अपने 123 एकदिवसीय मैचों में से 21 मैच भारत के खिलाफ खेले हैं। इनमें उन्होंने 30 . 52 की औसत से 580 रन बनाये हैं और 23 विकेट लिए हैं।

वैसे फ्लिंटॉफ का यह प्रदर्शन इंग्लैंड को मैच जिताने के लिए पर्याप्त नहीं माना जाएगा क्योंकि इन 21 मैच में से 14 मैच भारत ने जीते, जबकि केवल छह में उसे हार का सामना करना पड़ा।

यह अलग बात है कि जिन छह मैच में इंग्लैंड ने जीत दर्ज की उनमें फ्लिंटॉफ का योगदान अहम रहा। सितंबर 2004 में ओवल में नेटवेस्ट चैलेंज का वह मैच भला कौन भूल सकता है जबकि फ्लिंटॉफ ने अजीत आगरकर की गेंद पर आउट होने से पहले 99 रन बनाए और बाद में 31 रन पर एक विकेट लेकर इंग्लैंड को 70 रन से जीत दिलाई। इस मैच में उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया।

इंग्लैंड ने 2002 के भारतीय दौरे में दिल्ली और मुंबई में जो मैच जीते थे उनमें फ्लिन्टाफ बल्ले और गेंद दोनों से सफल रहे थे। उन्होंने दिल्ली में 52 रन और एक विकेट तथा मुंबई में 40 रन बनाने के साथ ही 38 रन देकर तीन विकेट लिए थे।

फ्लिंटॉफ ने अपनी सरजमीं पर भारत के खिलाफ सात मैच में 52.70 की औसत से 261 रन बनाने के अलावा छह विकेट लिए हैं।

इन सात मैच में हालाँकि इंग्लैंड तीन में जीत दर्ज कर पाया, जिनमें दो में फ्लिंटॉफ ने अर्धशतक जमाए जबकि नाटिंघम में 2004 में जब उनकी टीम ने लक्ष्य का पीछा करते हुए सात विकेट से जीत दर्ज की तब वह 34 रन बनाकर नाबाद रहे।

फ्लिंटॉफ वैसे भारत से बदला चुकता करने के लिये बेताब हैं क्योंकि उनकी कप्तानी में ही पिछले साल जब इंग्लैंड की टीम भारतीय दौरे पर आई थी तो एकदिवसीय श्रृंखला में उसे 6-1 की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

इनमें से जिस मैच में इंग्लैंड जीता उसमें फ्लिंटॉफ ने विश्राम लिया था और उनकी जगह एंड्रयू स्ट्रास ने कमान संभाली थी।

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