भारत का मकसद श्रृंखला पर कब्जा

Webdunia
रविवार, 3 जून 2007 (03:14 IST)
पहले मोर्चे पर फतह हासिल कर चुकी टीम इंडिया बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में जब मीरपुर के शेर-ए-बंगाल मैदान में उतरेगी तो उसका मकसद श्रृंखला पर कब्जा ही होगा, लेकिन इसके लिए उसे कुंद शीर्ष बल्लेबाजी क्रम और खामियों से भरी फील्डिंग दुरुस्त करनी होगी।

विश्व कप में बांग्लादेश से मिली शर्मनाक हार का बदला चुकाने के लिए भारत ने गुरुवार को उसे पहले मैच में पाँच विकेट से हरा दिया था, लेकिन कप्तान राहुल द्रविड़ पहले ही कह चुके हैं कि क्लीन स्वीप से कम उन्हें कुछ मंजूर नहीं। ऐसे में दूसरा मैच जीतकर सबसे पहले वह श्रृंखला पर कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे।

पहले मैच में भारतीय 'तुर्रम खां' बल्लेबाजों को मेजबानों ने जिस तरह से पानी पिलाया था, वह द्रविड़ के माथे पर शिकन का अंबार लगाने के लिए काफी है। शीर्ष क्रम के 'मिसफायर' से एक समय भारत महज 144 रन पर पाँच विकेट गँवा चुका था।

गौतम गंभीर बल्ले से बिल्कुल भी गंभीर नहीं दिख रहे हैं और वीरेंद्र सहवाग को खोई हुई फार्म लाख ढूंढने पर भी नहीं मिल पा रही है। आठ साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद भी वह ऐसे बचकाने शॉट खेलकर आउट होते हैं कि पूरी टीम और दर्शकों के पास सिर धुनने के अलावा कोई चारा नहीं होता।

युवराज सिंह का बल्ला भी पहले मैच में कुछ नहीं कर सका और खुद कप्तान भी सस्ते में ही निपट गए। ऐसे में दूसरा मैच जीतने के लिए टीम को बल्लेबाजी तो दुरुस्त करनी ही होगी। द्रविड़ ने भी मैच के बाद कहा था कि यह चिंता का विषय है।

द्रविड़ की दूसरी बड़ी चिंता फील्डरों की सुस्त टांगें हैं। गेंद का पीछा करने में अगर गुरुवार जैसी ही ढिलाई शनिवार को भी दिखायी गई तो मेजबान टीम शायद ही टीम इंडिया पर कोई रहम करे।

कप्तान के साथ-साथ नए टीम मैनेजर रवि शास्त्री भी इस बारे में चिंता जता चुके हैं। शास्त्री ने कहा हम जीत जरूर गए, लेकिन कुछ विभागों में हमें काफी काम करना है। फील्डिंग तो दुरुस्त करनी ही होगी। वैसे द्रविड़ के लिए गेंदबाजी भी किसी जंजाल से कम नजर नहीं आ रही।

अनुभवी जहीर खान के साथ युवा एस श्रीसंत और मुनाफ पटेल की तिकड़ी से टीम को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वे इन पर खरे नहीं उतर सके। श्रीसंत ने तो फिर भी कंजूसी भरी गेंदबाजी की, लेकिन जहीर और मुनाफ ने खूब रन लुटाए

जहीर ने केवल सात ओवर में 54 रन लुटा दिए, जो उनके अनुभव की बानगी तो कतई नहीं हो सकता। मुनाफ अगर खुद को बेहतर नहीं करते हैं, तो वह टीम पर बोझ ही होंगे क्योंकि फील्डिंग उनके बस की बात नहीं और बल्ला चलाना उन्हें आता नहीं।

दूसरे मैच के लिए टीम की बात की जाए तो इन हालात में ओपनर रॉबिन उथप्पा और तेज गेंदबाज रुद्र प्रताप सिंह की लाटरी खुल सकती है। पहले मैच में उन्हें नहीं खिलाया गया था, लेकिन द्रविड़ दूसरे मैच में इन दोनों को ही आजमा सकते हैं।

भारतीय टीम के लिहाज से देखा जाए तो उसके पास चिंताओं का भंडार है। सकारात्मक पहलू पहले मैच की जुझारूजीत ही है, जिसकी वजह से खिलाड़ियों का मनोबल कुलाँचे भर रहा है, लेकिन अक्सर यही मनोबल 'टानिक' का भी काम करता है और किसी भी मैच का पांसा पलट जाता है।

बांग्लादेश की बात की जाए तो लबों के बिल्कुल करीब पहुँचने के बाद भी हाथ से जाम का छिन जाना उन्हें बेहद साल रहा होगा। दरअसल उन्हें अति आत्मविश्वास और अनुभव की कमी ही ले डूबी, लेकिन उन्होंने यह तो साबित कर ही दिया कि विश्व कप की जीत कोई तुक्का नहीं थी।

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