मैग्राथ और जयसूर्या के बीच आखिरी जंग

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क्रिकेट के महायुद्घ में कॅरियर की अंतिम लड़ाई के लिए जब ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज ग्लेन मैग्राथ और श्रीलंका के विस्फोटक बल्लेबाज सनथ जयसूर्या उतरेंगे तो दोनों टीमों के साथ यह इनकी मैदानी जंग का भी आखिरी मुजाहिरा होगा।

फाइनल के साथ ही एक की विश्व कप से शाही विदाई होगी तो दूसरे को हार का मलाल ताउम्र रहेगा।

विश्व कप 1996 में श्रीलंका की खिताबी जीत के सूत्रधार रहे जयसूर्या ने जहाँ शुरूआती ओवरों में बल्लेबाजी के मायने बदल दिए, वहीं मैग्राथ को उनकी सटीक लाइन और लैंग्थ के लिए जाना जाता है। मैग्राथ की ताकत उनका अनुशासन है तो जयसूर्या क्रिकेटीय व्याकरण के बंधन में खुद को नहीं बांधने के लिए मशहूर हैं।

मौजूदा विश्व कप के दस मैचों में सर्वाधिक 25 विकेट ले चुके सैतीस बरस के मैग्राथ का जोश किसी युवा खिलाड़ी से कम नहीं है। उन्होंने कहा मेरे बेहतरीन फार्म का कारण शायद यह भी है कि मैं रिटायर होने जा रहा हूँ। मैं हर मैच का पूरा लुत्फ उठाना चाहता हूँ।

उन्होंने कहा मुझ पर कोई दबाव नहीं है और न ही किसी किस्म का डर है। एक सफल टीम के साथ खेलने पर सब कुछ बहुत आसान हो जाता है।
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