युवराज के लिए हमसफर की तलाश

Webdunia
गुरुवार, 11 दिसंबर 2008 (20:17 IST)
क्रिकेटर युवराजसिंह की छवि मीडिया ने भले ही कैसिनोवा की बना रखी ह ो, लेकिन उनके लिए एक सुयोग्य हमसफर की तलाश में जुटी उनकी माँ का कहना है कि असल जिंदगी में युवी ब िलक ुल ऐसा नहीं है और दूसरों के लिए बहुत सोचता है।

युवराज के 28वें जन्मदिन से पहले उनकी माँ शबनमसिंह ने चंडीगढ़ से बातचीत में कहा कि बेटा बड़ा होने पर उसके विवाह की चिंता तो होती ही है। मैं भी एक सिंपल और स्वीट लड़की तलाश रही हूँ, जो युवी की भी पसंद होगी।

बॉलीवुड अभिनेत्री किम शर्मा और दीपिका पादुकोण से प्रेम संबंध को लेकर चर्चा में रहे युवराज की मीडिया में बनी छवि से भी उनकी माँ को एतराज है। उन्होंने कहा युवी की हमेशा गलत छवि परोसी गई। वह कैसिनोवा नहीं है बल्कि रिश्तों को लेकर काफी संजीदा है। वह दूसरों के लिए बहुत सोचता है और चुपचाप काफी चैरिटी भी कर रहा है।

उन्होंने कहा कि जहाँ तक पार्टी करने की बात है तो इस उम्र में कौन नहीं करता। उसे दोस्तों के साथ रहना पसंद है और इस उम्र में यह लाजमी भी है। अब नहीं करेगा तो कब करेगा।

युवराज की शरारतों के किस्से तो काफी मशहूर हैं लेकिन उनका माँ बताती हैं कि बचपन में वह बहुत शरीफ और भोलाभाला था लेकिन क्रिकेट टीम में आने के बाद से वह शरारती हो गया है। वह, हरभजन और धोनी एक जैसे हैं और खूब शरारतें करते हैं।

उन्होंने कहा कि अकसर जन्मदिन के दिन वह दिन खेल रहा होता है। मैं घर पर पूजा-पाठ रखती हूँ। युवी होता है तो पार्टी हो जाती है। उसे हालाँकि तोहफों का खास शौक नहीं है। उन्होंने बताया कि उसे घर पर मेरे हाथ के आलू के पराठे, कड़ी-चावल और राजमा-चावल बहुत पसंद है और यहाँ होने पर उसकी बस यही फरमाइश होती है।

शबनम ने यह भी बताया कि बचपन से ही युवी अपनी धुन का पक्का था और उसने क्रिकेटर बनने की ठान रखी थी। उन्होंने कहा उसका पूरा ध्यान अपने कैरियर पर है और टेस्ट टीम में वापसी के बाद वह अपनी जगह पक्की करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।

उन्होंने कहा अच्छा क्रिकेटर होने के साथ वह दुनिया का सबसे अच्छा बेटा भी है। मुझे फख्र है कि मैं उसकी माँ हूँ।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लीड्स की हार का एकमात्र सकारात्मक पहलू: बल्लेबाजी में बदलाव पटरी पर

ICC के नए टेस्ट नियम: स्टॉप क्लॉक, जानबूझकर रन पर सख्ती और नो बॉल पर नई निगरानी

बर्फ से ढंके रहने वाले इस देश में 3 महीने तक फुटबॉल स्टेडियमों को मिलेगी 24 घंटे सूरज की रोशनी

The 83 Whatsapp Group: पहली विश्वकप जीत के रोचक किस्से अब तक साझा करते हैं पूर्व क्रिकेटर्स

क्या सुनील गावस्कर के कारण दिलीप दोषी को नहीं मिल पाया उचित सम्मान?